अशोकनगर जिले के मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड जारी किया गया है. जिले में स्थित प्रसिद्ध तार वाले बालाजी मंदिर में सर्व समाज के निर्णय के बाद यह फैसला किया गया है. लोगों को मर्यादित वस्त्र पहनकर मंदिर में दर्शन के लिए आने की अपील की गई है. कुछ दिन पहले शहर में सर्व समाज के लोगों की एक बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में यह निर्णय लिया था कि शहर और समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ समाज कार्य करेगा. इसके बाद ही फैसला किया गया कि मंदिर में लोग मर्यादा में आएं.
सर्व समाज के निर्णय के बाद मंदिर के बाहर इससे संबंधित एक बैनर लगाया गया है. इसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि पुरुष कैपरी, हाफ पैंट या लोअर पहनकर मंदिर नहीं आएं. महिलाएं भी सिर ढंककर ही मंदिर में प्रवेश करें. श्रद्धालुओं की माने तो वो भी इसका सपोर्ट कर रहे है. उनका कहना है कि जब बड़े बड़े शहरों में डिस्को में जाने के लिए ड्रेस कोड है, तो वो मंदिरों में क्यों नहीं.
भारत में अपना रहे विदेशी वेशभूषा
उनका कहना है कि मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है. जिसमें हमारी संस्कृति की झलक दिखना चाहिए. विदेशी लोग हमारे देश की वेशभूषा को अपना रहे है और हम कहां जा रहे है. उधर जिस समिति द्वारा ये निर्णय लिया गया है उनका मानना है कि हमने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है सिर्फ लोगों से अपील की है और लोग उसका पालन भी कर रहे हैं.
200 साल पुराना है मंदिर
शहर का सुप्रसिद्ध मंदिर जो तार वाले बालाजी के नाम से विख्यात है. यह लगभग 200 वर्ष पुराना मंदिर है. इस मंदिर के नाम के पीछे भी एक कहानी है. कई वर्षों पहले इस मंदिर के पीछे से टेलीफोन के खंभों से होकर कई तार निकले हुए थे. जिसके बाद टेलीफोन एक्सचेंज कंपनी के अधिकारी अपने उद्बोधन में इस मंदिर को तार वाले बालाजी के नाम से संबोधित करते थे. तब से ही मंदिर का नाम तार वाले बालाजी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया. जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचते हैं.