Madhya Pradesh: श्योपुर जिले में धधक रही नरवाई की आग, कलेक्टर के आदेश का नहीं हो रहा पालन

श्योपुर: दिन हो या रात जगह-जगह खेतों में नरवाई की आग धधक रही है, दूर तक इस आग की लपटें और धुआं प्रशासन को छोड़कर अन्य लोगों को दिखाई दे रहा है, शायद इसीलिए प्रशासन नरवाई जलाने वाले एक भी व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं कर सका है, कहने को तो कलेक्टर अर्पित वर्मा ने नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही नरवाई जलाने वालों पर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं, वहीं अधिकारियों को भी बैठक में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, कलेक्टर के यह आदेश व निर्देश का न तो किसान पालन कर रहे हैं और न ही अधिकारी गंभीरता से ले रहे हैं, यही कारण है कि प्रतिबंध के बाद भी खेत में धड़ल्ले से नरवाई जलाई जा रही है.

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बढ़ती है आगजनी की घटनाएं, होता है नुकसान :

नरवाई जलाने से आगजनी के घटनाओं में भी इजाफा होता है। इससे नरवाई जलाने वाले खेत से लगे अन्य किसानों के खेत में लगी खड़ी फसल भी आग की चपेट में आ जाती है। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है, हाल ही में जिले के बरगवां थाना क्षेत्र के लहरौनी गांव सहित अन्य विकासखंडों में आगजनी की अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, हालांकि कुछ किसानों का कहना है कि ये घटनाएं बिजली के तारों से निकली चिंगारी के कारण हुई है, इससे अनेक किसानों को काफी नुकसानी का सामना करना पड़ा है।इधर नरवाई में आग लगाने की सूचना पर नगरीय निकायों को मजबूरी में आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड भेजना पड़ती है। इससे न सिर्फ पानी की बर्बादी होती है बल्कि डीजल भी खर्च हो रहा है।प्रशासन द्वारा जारी किए गए नरवाई में आग नहीं लगाने के साथ संबंधित किसान के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश महज दिखावा ही साबित हो रहे हैं, इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, कारवाई से बचने के लिए अधिकतर किसान नरवाई को रात में गुपचुप तरीके से जला रहे हैं। जो रातभऱ जलती रहती है और सुबह तक सारे खेत की नरवाई जलकर सुबह तक आग ठंडी पड़ जाती है.

कम हो रही उर्वरक क्षमता 

कृषि विज्ञानी के मुताबिक नरवाई जलाने से भूमि की आर्थिक उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है और भूमि की सतह पर पाए जाने वाले लाभकारी बैक्टीरिया नष्ट होते हैं, नरवाई को जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति के रूप में मौजूद तत्व आग के साथ जलकर भूमि की उर्वरा शक्ति का क्षय हो जाता है, उपजाऊ भूमि पर आग लगने से ऊपरी परत जलकर ईटों के अवशेष की तरह कड़क हो जाती है, किसानों को चाहिए कि, वह गहरी जुताई करें, जिससें नरवाई भूमि में दबकर खाद का रूप ले लेगी, नतीजन खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए अलग से खाद की अधिक आवश्यकता नहीं रहेगी.

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