दमोह: सागर संभाग आयुक्त के निर्देश पर संचालित विद्यालय निरीक्षण अभियान के तहत शनिवार को संयुक्त संचालक लोक शिक्षण मृत्युंजय कुमार ने जब दमोह जिले के विभिन्न शासकीय स्कूलों का औचक निरीक्षण किया, तो शिक्षकों की लापरवाही और शैक्षणिक व्यवस्था की स्थिति उजागर हो गई। कई स्कूलों में शिक्षक अनुपस्थित मिले तो कहीं गंदगी और अव्यवस्था देखने को मिली.
संयुक्त संचालक जब शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बांसा कला, पथरिया पहुंचे तो वहां 15 नियमित शिक्षकों में से मात्र 4 ही ड्यूटी पर पाए गए। न छात्र उपस्थिति रजिस्टर अपडेट था, न शिक्षण डायरी संधारित। अभ्यास कार्य भी नहीं कराया जा रहा था, और कैचमेंट क्षेत्र के 98 बच्चों का अब तक प्रवेश नहीं कराया गया था.
बिना सूचना अनुपस्थित शिक्षक – नोटिस जारी
तीन दिन से अनुपस्थित नर्मदा प्रसाद अहिरवार, चार दिन से अखंड प्रताप सिंह, दो दिन से धर्मेंद्र चौबे सहित एक दिन से गायब भगवानदास चौरसिया, रामदेवी चौरसिया, भारत सिंह ठाकुर, विजय गुप्ता और शिशुपाल चौधरी इन सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
निरीक्षण के दौरान शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केरबना में भी साफ-सफाई का अभाव मिला। तीन में से दो शिक्षक ही उपस्थित थे, एक प्रशिक्षण पर गए थे। न अभ्यास कार्य कराया जा रहा था, न ही प्रायोगिक गतिविधियों पर ध्यान दिया जा रहा था। स्कूल का पिछला बोर्ड परीक्षा परिणाम भी चिंताजनक रहा है – कक्षा 10वीं और 12वीं में सफलता दर 30% से भी कम रही थी, लेकिन सुधार की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं दिखा। निरीक्षण में स्कूलों की बदहाली सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल जिला शिक्षा अधिकारी एस.के. नेमा की निष्क्रियता पर उठता है।शिक्षकों की मनमानी, छात्रों का अधूरा नामांकन, बोर्ड परीक्षाओं में शर्मनाक परिणाम, इन सबके बीच डीईओ पूरी तरह मूकदर्शक बने रहे। जिले में शिक्षा व्यवस्था चरमराती रही, और जिम्मेदार अफसर कुर्सी से चिपके रहे। सूत्रों के अनुसार डीईओ को पहले भी लापरवाह स्कूलों की शिकायतें मिली थीं,लेकिन न कोई निरीक्षण हुआ, न कार्रवाई। अब उच्च अधिकारियों के सामने उनकी कार्यशैली सवालों के कटघरे में है.
निरीक्षण के दौरान सामने आई अनियमितताएं शिक्षा विभाग की गंभीर चिंता का विषय हैं. वही सूत्रो से खबर है, कि दमोह जिले में लगातार शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के अलावा जिला शिक्षाधिकारी एस. के नेमा द्वारा काफी लंबे समय से कथित फर्जी शिक्षकों को संरक्षण भी दिया जा रहा है, जिस पर जिला कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर की भूमिका भी संदेह के घेरे में बनी हुई है, या फिर कही ना कहीं मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है.