Madhya Pradesh: आखिर कब खत्म होगी नाम मिटाने की प्रथा: रीठी सरकारी अस्पताल की गजब कहानी

Madhya Pradesh: रीठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों भ्रष्टाचार का आलम चरम सीमा पर है, सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी अनुसार रीठी सरकारी अस्पताल में जो भी दानदाता जनहित मैं सामग्री दान करता है, तो उस सामग्री से उसका नाम कुछ दिनों के बाद मिटा दिया जाता है. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है, यह सवाल सभी को सोचने पर मजबूर कर रहा है.

Advertisement

आपको बता दें कि कुछ वर्ष पूर्व 30 मई 2021 में तत्कालीन सरपंच श्रीमती सुनीता/देवी सिंह सिमरा कला द्वारा मरीजों को गर्मी से राहत पाने हेतु कुलर दिए गए थे. परंतु विचारणीय प्रश्न यह है कि कुछ समय की बाद दो कुलरो से उनका नाम मिटा दिया जाता है. आखिर ऐसा क्यों? क्या वही कुलर का फिर से विभाग द्वारा बिल लगाकर अपनी जेब भरी गई.

तो वही बहोरीबंद पूर्व विधायक कुंवर सौरभ सिंह द्वारा ग्रामीणों की सुविधा को देखते हुए एम्बुलेंस शव वाहन प्रदान किया गया था. लेकिन कुछ समय के उपरांत एम्बुलेंस शव वाहन के बीच से शव, शब्द को मिटा दिया जाता है, और आज स्थिति यह है कि एंबुलेंस शव वाहन पूरी तरह से कबाड़ मैं तब्दील हो चुका है.

आखिर रीठी अस्पताल में इतनी मनमानी क्यों की जाती है जिसका खमीजा आम जनता को भुगतना पड़ता है, तो वही विभागीय उच्च अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन धारण किए हुए बैठे हैं.

अब देखना यह है कि इस विषय पर ऊपर बैठे विभागीय उच्च अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं, या फिर इसी तरह मनमानी रवाईए से नाम मिटा कर बिल लगाने की प्रथा कायम रहेगी.

Advertisements