मध्यप्रदेश : के विदिशा में एक ऐसा भी गांव है,जहां प्रतिदिन रावण की पूजा होती है, किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गांव के लोग मंदिर में रावण की पूजा अर्चना करते हैं.यह रावण गांव विदिशा जिले के नटेरन तहसील में स्थित है.जिसका नाम रावण गांव है.
इस गांव में परमार काल का एक मंदिर है, जिसमें रावण की लेटी हुई अवस्था में वर्षों पुरानी विशाल पाषाण प्रतिमा स्थापित है, और मंदिर में रावण की आरती भी लिखी हुई है.
विदिशा जिलें के नटेरन में स्थित रावण गांव में रावण मंदिर के सामने गांव की महिलाएं आज भी घूंघट ले लेती है, यहां घूंघट प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है, यहां के ग्रामीण कोई भी शुभ कार्य करने से पहले रावण की पूजा अर्चना करते हैं, विदिशा जिले का यह रावण गांव मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां देश की परंपरा के विपरीत रावण को देवता मानकर पूजा आराधना की जाती है, रावण की प्रतिमा को यहां रावण बाबा कहा जाता है.इतना ही नहीं, गांव की विवाहित महिलाएं जब इस मंदिर के सामने से निकलती हैं तो घूंघट कर लेती हैं.
गांव के लोग मंदिर में रावण के दर्शन और पूजा करने प्रत्येक दिन आते हैं, गांव में किसी की शादी हो तो पहला निमंत्रण गांव के प्रथम भगवान यानी रावण बाबा को ही दिया जाता है.और इसकी शुरुआत प्रतिमा की नाभि में तेल भरकर की जाती है, यहां के लोग जब भी कोई नया वाहन खरीदते हैं, तो उस पर रावण और जय लंकेश जैसे शब्द जरूर लिखवाते हैं.
दरअसल रावण गांव में रावण बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा की और लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर एक बुद्ध की पहाड़ी है, गांव में प्रचलित है कि इस पहाड़ी पर प्राचीन काल में बुद्धा नामक एक राक्षस रहा करता था जो रावण बाबा से युद्ध करने की खासी इच्छा रखता था, वह जब जब लंका तक पहुंचता तो वहां की चकाचौंध देखकर उसका क्रोध शांत हो जाता था, एक दिन रावण बाबा ने इस राक्षस से पूछा कि, तुम दरबार में क्यों आते हो और हर बार बिना कुछ बताए चले जाते हो तब बुद्धा राक्षस ने कहा कि, महाराज में हर बार आप से युद्ध की चाह लेकर आता हूं ,लेकिन यहां आपको देख कर मेरा क्रोध शांत हो जाता है ,तब रावण बाबा ने कहा कि तुम वहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना ,तब से यह प्रतिमा यहीं पर बनी हुई है. इस रावण मंदिर के पास एक तालाब स्थित है बताया जाता है कि तालाब में रावण की तलवार अब भी मौजूद है.
रावण गांव में रावण बाबा मंदिर के पुजारी बताते हैं कि, यहां देवताओं की तरह रावण की पूजन होती है.इस गांव में प्रथम देवता के रूप में रावण बाबा को पूजा जाता है, यहां प्रतिदिन दोनों समय आरती भजन और प्रसाद का वितरण होता है.किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले रावण बाबा की पूजा नही हो पाती तो सभी कार्य बिगड़ जाते हैं, शादी विवाह में सबसे पहले रावण महाराज की प्रथम पूजा की जाती है,जिन जगहों पर रावण दहन होता है वहां इस गांव के लोग रावण दहन का आयोजन देखने तक नहीं जाते न ही बुराई सुन सकते, क्योंकि इस गांव के कुल देवता, ग्राम देवता प्रथम देवता ही रावण बाबा हैं.
गांव के लोग बताते हैं कि,हम रावण महाराज को भगवान की तरह मानते हैं, रावण गांव में दीपावली से भी बड़े त्यौहार के रूप में दशहरे का यह त्यौहार मनाया जाता है,इस गांव के लोग जैसे भगवान राम और भगवान कृष्ण को मानते हैं वैसे ही रावण बाबा को मानते हैं.