Madhya Pradesh: श्योपुर में वार्ड 20 की महिलाओं ने शराब दुकान के विरोध में आवाज उठाई है, नगर पालिका अध्यक्ष रेणु सुजीत गर्ग के नेतृत्व में महिलाएं कलेक्ट्रेट पहुंचीं, उन्होंने एसडीएम को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा.
दलित बस्ती में स्थित इस शराब दुकान से स्थानीय निवासी काफी परेशान हैं, यह दुकान सार्वजनिक रास्ते पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर बनाई गई है, आसपास मंदिर, शमशान घाट, मैरिज हॉल, रामद्वारा और जमातखाना जैसे धार्मिक स्थल हैं. वार्ड में अधिकतर दलित और पिछड़े वर्ग के परिवार रहते हैं, ये लोग दैनिक मजदूरी से अपना जीवन यापन करते हैं, शराब दुकान के कारण कई मजदूर शराब के आदी हो गए हैं, इससे उनके परिवारों में रोज झगड़े होते हैं. महिलाओं और लड़कियों को शराबियों की फब्तियों का सामना करना पड़ता है, इस मार्ग से गुजरना उनके लिए मुश्किल हो गया है. स्थानीय लोगों ने मार्च 2017 से कई बार कलेक्टर को इस समस्या से अवगत कराया है। नगरपालिका पार्षदों के हस्ताक्षर युक्त कई ज्ञापन भी दिए गए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
पूर्व में महिलाओं ने कई बार कलेक्टर को ज्ञापन देकर ठेका हटाने की मांग की
श्योपुर शहर के वार्ड 20 की महिलाओं ने पूर्व में कलेक्टर को ज्ञापन देकर कई बार ठेका हटाने की मांग की है, पंरतु जिला कलेक्टर ने भी उनकी मांग पर कोई एक्शन नहीं लिया है, जिससे बह परेशान है, आए दिन शराबी मोहल्ले में हुड़दंग मचाकर महिलाओं और बेटियों को घर से बाहर तक नहीं निकलने देते है, जिससे बह अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है.
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को भी दे चुकी महिलाएं आवेदन
11 फरवरी 2025 को श्योपुर दौरे पर पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को एक कार्यक्रम के दौरान वार्ड 20 की महिलाओं ने विधानसभा अध्यक्ष को घेर लिया,उन्होंने वार्ड 20 पुल दरवाजा स्थित शराब ठेके को हटाने की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा. विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को महिलाओं ने बताया कि शराब ठेके के कारण आसपास के निवासियों को आवागमन में परेशानी होती है और शराबियों के जमावड़े से महिलाओं का निकलना मुश्किल हो जाता है, विधानसभा अध्यक्ष ने महिलाओं की मांग पर शराब ठेका बंद करवाने का आश्वासन दिया। पंरतु आज दिनांक तक कोई एक्शन नहीं लिया गया.
कई बार महिलाओं ने शराब ठेके को हटाने को लेकर धरना प्रदर्शन किया
शराब ठेके को हटाने को लेकर महिलाओं ने कई बार धरना प्रदर्शन तक किया है, परंतु जिला प्रशासन से लेकर सत्ता में आए नेताओं ने भी महिलाओं की इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है.