Chhattisgarh News: महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) द्वारा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में विकसित की जा रही गारे पेलमा सेक्टर-दो कोल माइंस परियोजना को सरकार ने आवश्यक स्वीकृतियां दे दी हैं. अब यह कोयला खदान संचालन के लिए पूरी तरह तैयार है. यह परियोजना भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य में रोजगार और आधारभूत विकास के अवसरों को बढ़ावा देगी.
इस परियोजना के तहत लगभग 655.15 मिलियन टन कोयला भंडार का दोहन किया जाएगा और इसकी अधिकतम उत्पादन क्षमता 23.6 मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष है. परियोजना में कुल ₹7463 करोड़ का निवेश किया जा रहा
इसके साथ-साथ, संचालन की अवधि में छत्तीसगढ़ राज्य को लगभग ₹29 हजार करोड़ का राजस्व विभिन्न मदों जैसे कि रॉयल्टी, जिला खनिज निधि , जीएसटी और अन्य शुल्कों के रूप में प्राप्त होगा.
परियोजना के अंतर्गत लगभग 3 हजार 400 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त क्षेत्र में खनन, परिवहन, निर्माण, खानपान, सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला और अन्य सेवा क्षेत्रों में कई अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
इस परियोजना को शुरू करने के लिए अनेक नियामकीय प्रक्रियाएं और मंज़ूरियां चरणबद्ध रूप से पूरी की गईं. वर्ष 2015 में कोल ब्लॉक का आवंटन भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा महाजेनको को किया गया. खनन लीज़ के लिए वर्ष 2015 में आवेदन जमा किया गया और वर्ष 2016 में खनन योजना को स्वीकृति प्राप्त हुई. पर्यावरणीय स्वीकृति (EC) के लिए आवेदन 12 अप्रैल 2016 को प्रस्तुत हुआ और जनसुनवाई वर्ष 2019 में आयोजित की गई.13 अगस्त 2024 को EC स्वीकृति प्राप्त हुई.
वन विभाग द्वारा स्टेज-I और स्टेज-II स्वीकृतियां क्रमशः 2 जून 2022 और 27 जनवरी 2023 को प्राप्त हुईं. अंतिम वन स्वीकृति 27 अगस्त 2024 को राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई.
महाजेनको परियोजना क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्य प्रारंभ कर चुका है. इसके अतिरिक्त, भविष्य में भी विकास कार्य करने का प्रयास करेगा। इन प्रयासों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, बुनियादी ढांचे का विकास, प्रशिक्षण, आजीविका सहायता और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल है.
बुनियादी सुविधाओं तक बेहतर पहुंच
14 गांवों को प्रभावित करने वाली यह परियोजना एक समावेशी पुनर्वास और पुनर्स्थापन योजना के साथ लागू की जा रही है, जिसमें 3296 परिवारों को निर्धारित नीति के अनुरूप पुनर्वासित किया जाएगा. इन परिवारों ने अपने सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाते हुए इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भागीदारी की है, जिससे उन्हें बेहतर जीवनशैली, रोजगार के अवसर और बुनियादी सुविधाओं तक बेहतर पहुंच प्राप्त होगी.