श्रावण-भादो में भक्तों के लिए जल्दी जागेंगे महाकाल, भस्म आरती का समय बदलेगा

उज्जैन। उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में 11 जुलाई से 18 अगस्त तक श्रावण-भादो मास का पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस पावन अवसर पर देशभर से हजारों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचेंगे। मंदिर प्रबंधन ने भक्तों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर्व को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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विशेष समय पर खुलेंगे मंदिर के पट

श्रावण-भादो मास के दौरान भगवान महाकाल आम दिनों की अपेक्षा जल्दी जागेंगे। हर रविवार को मंदिर के पट रात 2:30 बजे और शेष दिनों में रात 3:00 बजे खुलेंगे। इसके तुरंत बाद भस्म आरती होगी। सामान्य दिनों में मंदिर प्रात: 4:00 बजे खुलता है। इस विशेष परिवर्तन को लेकर मंदिर समिति ने पूरी कार्य योजना तैयार की है।

भव्य सवारी और आयोजन की तैयारी

श्रावण-भादो मास में भगवान महाकाल की भव्य सवारी प्रत्येक सोमवार तथा भादो मास की अमावस्या से पहले आने वाले सोमवार को निकाली जाएगी। इस वर्ष सवारी की तिथियां 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त, 11 अगस्त और 18 अगस्त (राजसी सवारी) तय की गई हैं। कलेक्टर एवं मंदिर समिति अध्यक्ष रौशन कुमार सिंह ने शुक्रवार को प्रशासनिक संकुल में बैठक कर व्यवस्थाओं का खाका तैयार किया।

बारिश के मद्देनजर विशेष इंतजाम

श्रावण-भादो मास वर्षा काल के मध्य में आता है, इसलिए अधिक बारिश की संभावना को ध्यान में रखते हुए शेड, जल निकासी, फर्श की सफाई एवं जलभराव रोकने के उपाय किए जाएंगे। मंदिर परिसर के भीतर एवं बाहर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रकाश व्यवस्था, पेयजल, बेरिकेडिंग, पार्किंग जैसी व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाएंगी। कलेक्टर ने कहा कि पिछले वर्षों के अनुभवों से सीखते हुए इस बार व्यवस्थाएं और बेहतर की जाएंगी।

पूजन परंपरा में महाराष्ट्रीयन प्रभाव

महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में सिंधिया स्टेट के समय से महाराष्ट्रीयन रिवाज का प्रभाव बना हुआ है। हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार श्रावण मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक माना जाता है, जबकि महाराष्ट्रीयन मान्यता में श्रावण शुक्ल पक्ष से भादो अमावस्या तक होता है। दोनों परंपराओं के समन्वय से महाकाल मंदिर में डेढ़ माह तक श्रावण-भादो मास मनाया जाता है।

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