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फडणवीस के स्वागत के लिए हुई रैली में जेबकतरों ने किया हाथ साफ, 31 लोगों के कीमती सामान चोरी

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस ने महायुति गठबंधन की तरफ से शपथ ले ली है. रविवार को नागपुर में राज्य सरकार के मंत्रियों का शपथ ग्रहण हुआ. इस मौके पर देवेंद्र फडणवीस के लिए उनको प्रशंसकों ने रैली आयोजित की थी. इस दौरान कई लोगों के साथ अनहोनी का मामला सामने आया है. एजेंसी के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि रविवार को शपथ ग्रहण समारोह से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए आयोजित स्वागत रैली के वक्त 30 से ज्यादा लोगों ने अपने बटुए और अन्य सामान खोने की शिकायत की.

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उन्होंने बताया कि 31 लोगों की शिकायत के बाद राणा प्रताप नगर, सोनेगांव और बजाज नगर पुलिस थानों में अज्ञात जेबकतरों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.

अधिकारी ने बताया, “हमने अहिल्यानगर से एक गिरोह के 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. कथित तौर पर आरोपियों ने कैश, मोबाइल फोन, सोने की चेन जैसी चीजें चुराई हैं. एक पुलिस अधिकारी की भी सोने की चेन खो गई है. CCTV फुटेज की जांच की जा रही है और ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए टीमें गठित की गई हैं.”

33 साल बाद नागपुर में मंत्रियों का शपथग्रहण

महाराष्ट्र में नागपुर के राजभवन में रविवार को महाराष्ट्र के 39 मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया, जो 33 सालों बाद हुआ. इससे पहले, 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाईक के शासनकाल में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था. नाईक ने उस समय शिवसेना के बागी नेता छगन भुजबल और राजेंद्र गोले को अपनी सरकार में शामिल किया था. साथ ही कांग्रेस के बीड विधायक जयदत्त क्षीरसागर को भी नाईक सरकार में मंत्री बनाया गया था. इस बार शपथ ग्रहण समारोह में 39 मंत्रियों का स्वागत किया गया, जिनमें देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्रियों को शामिल किया गया था.

राज्यपाल सी. सुब्रह्मणियम ने इन सभी मंत्रियों को शपथ दिलाई. इस शपथ ग्रहण समारोह में एक दिलचस्प कड़ी यह रही कि छगन भुजबल, जो कभी नाईक सरकार में शामिल हुए थे, अब एक बड़े नाम के रूप में इस नई सरकार से बाहर हो गए हैं. इस बार भुजबल को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया.

सुधाकरराव नाईक, जो 1991 से 1993 तक मुख्यमंत्री रहे, ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान भुजबल और गोले जैसे बागी नेताओं को कांग्रेस के साथ मिलाकर सरकार में शामिल किया था. बाद में, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष माधुकरराव चौधरी ने शिवसेना के बागी नेताओं के समूह को कांग्रेस में विलय करने की मंजूरी दी थी.

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