महाराष्ट्र विधानसभा ने समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को मरणोपरांत भारत रत्न देने की सिफारिश का प्रस्ताव पारित किया. सोमवार (24 मार्च) को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर सिफारिश की कि केंद्र सरकार महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करे.
मंत्री जयकुमार रावल ने यह प्रस्ताव पेश किया, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक छगन भुजबल और कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार ने इसके समर्थन में अपने विचार रखे.
सीएम फडणवीस ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि लोगों ने फुले को दी गई ‘महात्मा’ की उपाधि को मान्यता दी है और अब ‘भारत रत्न’ राज्य की ओर से मान्यता होगा. उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा की उपाधि देश में हर चीज से ऊपर थी और केवल दो लोगों– महात्मा फुले और महात्मा गांधी को यह सम्मान प्राप्त हुआ.’’
लड़कियों के लिए पहला स्कूल शुरू किया
ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले भारत के महान समाज सुधारक थे और शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. ज्योतिराव फुले (1827-1890) ने समाज में व्याप्त जातिवाद और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई. उनका मानना था कि शिक्षा ही समाज को बदल सकती है. 1848 में उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई के साथ मिलकर पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल शुरू किया, जो उस समय क्रांतिकारी कदम था. 1873 में उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य शोषित वर्गों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना था.
लड़कियों को पढ़ाने के लिए सावित्रीबाई फुले को हुआ विरोध
सावित्रीबाई फुले (1831-1897) भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं. उन्होंने लड़कियों को पढ़ाने के लिए सामाजिक विरोध का सामना किया, फिर भी हार नहीं मानी. उन्होंने विधवाओं और पीड़ित महिलाओं के लिए आश्रय स्थल खोले और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर जाति और लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए काम किया. 1897 में प्लेग महामारी के दौरान उन्होंने बीमारों की सेवा की, जिसके दौरान उनकी मृत्यु हो गई.