मैहर स्टेट हाईवे-11: धूल, डस्ट और टूटी पुलिया में यात्रियों की जान जोखिम में

मैहर: स्टेट हाईवे-11 अब अपनी पहचान खोता हुआ और यात्रियों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। पहले यह हाईवे यात्रा के लिए आरामदायक और सुरक्षित माना जाता था, लेकिन अब यह धूल-डस्ट से भरी एक पगडंडी बनकर रह गया है. स्थानीय नागरिकों और यात्रियों की लगातार बढ़ती शिकायतों के बावजूद MPRDC (मध्य प्रदेश रोड डवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के अधिकारियों ने इसे सुधारने के लिए जो कदम उठाए हैं, वह केवल दिखावा साबित हुए हैं. अधिकारियों ने केवल खेतों की मिट्टी उठाकर उसे सड़क के शोल्डर पर डाल दिया, जिसका परिणाम यह हुआ है कि अब यहां से आने-जाने वाले लोग और अधिक परेशान हो गए हैं.

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नियमों के मुताबिक, सड़क की शोल्डर को मुरूम से भरना चाहिए था, जिससे यह बरसात के मौसम में बहने से बच सके, लेकिन यहां पर कोरम पूरा करने के नाम पर केवल मिट्टी डाल दी गई है, जो बरसात के पानी में बहकर फिर से गड्ढों में तब्दील हो जाएगी. ऐसे में यह समस्या न केवल सड़कों को और खराब करती है, बल्कि यात्रियों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है.

 

इसके अलावा, स्टेट हाईवे-11 पर एक टूटी पुलिया स्थित है, जो किसी भी वक्त बड़े हादसे को जन्म दे सकती है, लेकिन जिला प्रशासन और स्थानीय अधिकारी इस गंभीर समस्या की ओर आंखें मूंदे हुए हैं। प्रशासन का रवैया पूरी तरह से ‘सब चंगा सी’ जैसा बना हुआ है, यानी हादसे बढ़ते जा रहे हैं लेकिन प्रशासन की नींद नहीं टूट रही. इस स्थिति के बीच टोल वसूली बदस्तूर जारी है, लेकिन इन पैसों का इस्तेमाल सड़क की मरम्मत या यात्रियों की सुरक्षा पर नहीं किया जा रहा है.

सुविधाओं की बात करें तो इस सड़क पर न तो कोई एंबुलेंस की सुविधा है और न ही प्राथमिक चिकित्सा केंद्र है. इसके बजाय केवल लूट-खसोट और मुनाफा कमाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह सवाल उठता है कि इतनी भारी टोल वसूली के बावजूद इस पैसे का उपयोग कहां किया जा रहा है? क्या यह पैसा केवल धूल उड़ाने और सड़क की अव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल हो रहा है?

 

मैहर के प्रशासन, MPRDC और ठेकेदारों की इस त्रिकोणीय तिकड़ी ने क्षेत्र की जनता को धूल और गड्ढों में यात्रा करने के लिए मजबूर कर दिया है. अब यह देखना होगा कि पहले सड़क को दुरुस्त किया जाएगा या फिर जनता का गुस्सा प्रशासन और ठेकेदारों के खिलाफ फूटेगा.

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