मैहर : जिले के बंशीपुर गांव के उमरिया टोला से एक हृदय विदारक तस्वीर सामने आई है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.यहां एक बीमार ग्रामीण को सड़क न होने के कारण एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाई। मजबूर होकर गांव के लोगों ने मरीज को चारपाई पर कंधों पर उठाया और कीचड़ भरे ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए मुख्य मार्ग तक ले गए.
मरीज का नाम दीनदयाल पाल बताया गया है.गांव तक सड़क नहीं होने से बरसात के दिनों में हालात और भी भयावह हो जाते हैं.गहरे कीचड़ और दलदल जैसी पगडंडियों से होकर गुजरना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.ग्रामीणों ने बताया कि बरसात आते ही गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है.न तो पक्की सड़क है और न ही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं। यही वजह है कि आपात स्थिति में समय पर इलाज मिल पाना असंभव हो जाता है.
गांव के लोगों का कहना है कि वे लंबे समय से पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई.इस टोले में 100 से ज्यादा लोग रहते हैं, जो हर साल बारिश में इसी तरह की परेशानियों से जूझते हैं.
इस मामले में सरपंच सुमन पटेल के पति ने बताया कि आधा किलोमीटर का रास्ता बेहद खराब है और सड़क निर्माण में देरी की बड़ी वजह ग्रामीणों के बीच आपसी विवाद है.लेकिन सवाल यह है कि आपसी विवाद की आड़ में विकास कार्य आखिर कब तक रोके जाएंगे?
घटना के बाद ग्रामीणों ने एकजुट होकर प्रशासन से सड़क निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की मांग की है.उनका कहना है कि यह समस्या सिर्फ उनके गांव की नहीं, बल्कि सैकड़ों गांवों की है जहां विकास कागज़ों में सिमटकर रह गया है.
यह घटना न सिर्फ जिम्मेदार विभागों की लापरवाही उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश के कई गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.गांव वालों की पीड़ा यही कह रही है कि सड़क और स्वास्थ्य सेवाएं विलासिता नहीं, बल्कि जीवन रक्षक ज़रूरत हैं.