बलात्कार और पॉक्सो मामले में बड़ा फैसला: आरोपी हुआ दोषमुक्त, न्यायपालिका ने दिया सबूतों को महत्व

रीवा: एक महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले में, रीवा की विशेष पॉक्सो (POCSO) अदालत ने बलात्कार, मारपीट और जान से मारने की धमकी जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. यह फैसला न्याय की कसौटी पर सबूतों के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करता है. यह मामला तब प्रकाश में आया था जब पीड़िता ने रीवा के सिविल लाइन पुलिस थाने में आरोपी आरिफ हुसैन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

शिकायत के अनुसार, आरोपी ने एक सुनसान जगह पर न केवल उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया, बल्कि मारपीट भी की और जान से मारने की धमकी दी. इसके बाद, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो एक्ट की धारा 3/ 4 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की.

मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय, पॉक्सो एक्ट के न्यायालय में की गई, जिसका विशेष प्रकरण क्रमांक 9/2025 था. सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने अपने आरोप साबित करने के लिए भरसक प्रयास किए, लेकिन वे न्यायालय के समक्ष पर्याप्त और पुख्ता सबूत पेश करने में असफल रहे.

न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलों और उपलब्ध साक्ष्यों का गहनता से अध्ययन किया. अंततः अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों में कमी पाते हुए, न्यायालय ने संदेह का लाभ  देते हुए आरिफ हुसैन को सभी आरोपों से दोषमुक्त करार दिया. यह फैसला इस बात को साबित करता है कि न्यायपालिका किसी भी आरोप पर फैसला सुनाने से पहले ठोस सबूतों पर भरोसा करती है.

आरोपी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम सिंह और सहयोगी अधिवक्ता कृष्नेंद्र सिंह ने की, जिनकी प्रभावशाली दलीलों और कानूनी समझ ने इस महत्वपूर्ण फैसले में अहम भूमिका निभाई. यह निर्णय भारतीय न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सबूतों पर आधारित फैसले लेने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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