Malegaon Blast Case: साध्वी प्रज्ञा बरी, उमा भारती बोलीं- दिग्विजय ने रची थी ‘भगवा आतंकवाद’ की साजिश 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और वरिष्ठ बीजेपी नेता उमा भारती 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अदालत के फैसले की सराहना की और कहा कि कांग्रेस नेताओं खासकर दिग्विजय सिंह को ‘हिंदू आतंकवाद’ की झूठी कहानी गढ़ने और ‘संतों’ को बदनाम करने के लिए माफी मांगनी चाहिए.

प्रज्ञा ठाकुर और अदालत को बधाई देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा, “इस मामले में भगवा आतंकवाद की परिभाषा गढ़ी गई थी. इसके जनक दिग्विजय सिंह थे और वह राहुल गांधी के इशारे पर यह काम कर रहे थे. दुनिया भर में हिंदुत्व को बदनाम करने के लिए इस्लामिक आतंकवाद की तुलना में भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा गया. और इसे साबित करने के लिए निर्दोष लोगों को शिकार बनाया गया.”

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री भारती जानना चाहती हैं कि ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?

X’ पर एक पोस्ट में सीएम यादव ने कहा, “सत्यमेव जयते… मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों का निर्दोष साबित होना कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता पर करारा प्रहार है.”

CM यादव ने ज़ोर देकर कहा कि ‘हिंदू आतंकवाद’ का विमर्श गढ़ने वाली कांग्रेस को हमेशा याद रखना चाहिए कि एक हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता.

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह फैसला सनातन धर्म, साधुओं और भगवा का अपमान करने वालों को कड़ा जवाब है. कांग्रेस को सभी सनातनियों से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए.”

मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रोटेम स्पीकर और विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि अदालत के फैसले से कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की ‘रणनीति’ एक बार फिर देश के सामने आ गई है और यह स्पष्ट हो गया है कि कोई हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता.

शर्मा ने विधानसभा परिसर में कहा, “कांग्रेस ने जानबूझकर इस्लामी आतंकवाद को छिपाने के लिए हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा. कोई हिंदू न कभी आतंकवादी था, न है और न कभी होगा. दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस को हिंदुओं से माफ़ी मांगनी चाहिए.”

दरअसल, उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए विस्फोट में छह लोगों की जान जाने के लगभग 17 साल बाद मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, अदालत ने कहा कि वह केवल धारणा के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती

बता दें कि मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 अन्य घायल हो गए थे.

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