भारतीय किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान और BCCI के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली को फैक्ट्री बनाने के लिए एक रुपये में 999 साल के लिए जमीन का पट्टा कैसे दिया गया? इस बाबत कलकत्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. पश्चिम मेदिनीपुर में फैक्ट्री के लिए एक रुपये में जमीन देने के खिलाफ जनहित याचिका की सुनवाई अब कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ में होगी. जनहित याचिका में ममता बनर्जी की सरकार से जमीन देने पर भी सवाल किये गए हैं.
इस मामले की सुनवाई चिटफंड मामलों के लिए गठित खंडपीठ में होगी. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने बताया कि चिटफंड मामले की सुनवाई पहले से ही न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ कर रही है. इसलिए वह ही इस जनहित मामले की भी सुनवाई करेंगे.
बता दें, पश्चिम बंगाल सरकार ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के चंद्रकोणा में एक फिल्म सिटी बनाने के लिए प्रयाग समूह को 750 एकड़ जमीन दी थी. प्रयाग ग्रुप ने 2700 करोड़ रुपए का निवेश का वादा किया था. प्रारंभिक आवंटन भूमि सहित परियोजना की कुल लागत के लिए थी.
बाद में कंपनी का नाम चिटफंड मामले में आया और इसे लेकर काफी बवाल मचा था. कंपनी पर आरोप लगा कि जमाकर्ताओं से 2700 करोड़ रुपये फर्जी रूप से लिए गये थे. प्रयाग ग्रुप ने फिल्मसिटी बनाने में यही निवेश किया था.
इस बीच, चिटफंड मामले में नाम आने पर राज्य में खूब हंगामा मचा. सरकार ने जमाकर्ताओं को पैसा लौटाने के लिए प्रयाग समूह की सभी संपत्तियां जब्त कर लीं. इनमें चंद्रकोणा की 750 एकड़ जमीन भी शामिल थी.
अब ममता बनर्जी कीसरकार ने सौरव गांगुली को करीब 350 एकड़ जमीन दे दी है. एक रुपये में 999 वर्षों के लिए पट्टे पर जमीन दी गई है. राज्य के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर किया गया.
शेख मसूद नामक जमाकर्ता ने कोर्ट मेंएक जनहित मामला दायर किया है. उनके वकील शुभाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य को प्रयाग समूह की संपत्तियों को जब्त करना था और जमाकर्ताओं को पैसा लौटाना था. इसी तरह चंद्रकोणा की जमीन को भी बेचकर जमाकर्ताओं का पैसा लौटाना था. लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है.
वहीं, दूसरी ओर सौरव गांगुली ने फैक्ट्री बनाने के लिए उस जमीन का एक बड़ा हिस्सा एक रुपये में 999 साल के लिए पट्टे पर दे दिया गया है. उन्होंने सवाल किया कि सरकार किसी को वह जमीन कैसे दे सकती है. वह जमीन जमाकर्ताओं के पैसे से खरीदी गयी थी और उसे जमाकर्ताओं को लौटाना सरकार की जिम्मेदारी है.