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ममता सरकार ने मानी प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग, अस्पताल के प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट को हटाया

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांगें स्वीकार कर ली हैं. ममता सरकार ने मेडिकल कॉलेज के मौजूदा प्रिंसिपल डॉ. सुरहिता पाल को हटा दिया है. इसके साथ ही सरकार ने अस्पताल के मौजूदा अधीक्षक और चेस्ट डिपार्टमेंट के HOD को भी हटा दिया है. बता दें, बंगाल सरकार ने मानस बंद्योपाध्याय को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के नए प्रिंसिपल की जिम्मेदारी सौंपी है. इससे पहले वह बारासात मेडिकल कॉलेज औऱ अस्पताल में प्रिंसिपल के पद पर तैनात थे.

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इसके साथ ही ममता सरकार ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की एक और मांग स्वीकार कर ली है. सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के विवादास्पद पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में तबादले के आदेश को रद्द कर दिया है. संदीप घोष ने प्रदर्शनकारियों के दबाव में इस्तीफा दे दिया था.

हालांकि, घटना के 2 दिन बाद जब मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर सवाल उठे, तो उन्होंने कहा था कि मेरी बदनामी हो रही है, ये ल़ड़की मेरी बेटी की तरह है. पैरेंट होने के नाते इस्तीफा दे रहा हूं, मैंने उसे बचाने की कोशिश की. बदनामी का डर और पीड़िता को अपनी बेटी बताते हुए इस्तीफा देने वाले संदीप घोष को लगातार 6 दिन तक CBI ने बुलाकर पूछताछ की है.

वहीं, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पीड़िता के परिजनों से घर पर जाकर मुलाकात की. कटक से लौटे राज्यपाल एयरपोर्ट से सीधे पीड़िता के घर गए. इस दौरान राज्यपाल ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने माता-पिता दोनों की बात सुनी है. मैं बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा. उन्होंने मुझे कुछ बातें बताईं, जो अभी गोपनीय हैं.

राज्यपाल के करीबी सूत्रों के अनुसार बेटी की मौत के कारण माता-पिता की पीड़ा को देखकर सीवी आनंदर बोस भावुक हो गए. इसके अलावा उन्होंने मंगलवार को पीड़िता के माता-पिता से 2 बार फोन पर बात की और उन्हें न्याय का आश्वासन दिया था. पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में बुधवार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं, क्योंकि जूनियर डॉक्टरों ने लगातार 13वें दिन भी काम बंद रखा.

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