ममता कुलकर्णी का इस्तीफा नामंजूर, किन्नर अखाड़ा में हुई वापसी, बोलीं- भावनाओं में बह गई थी

बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन दो दिन बाद ही इन्होंने वापसी कर ली है. उन्होंने ऐलान करते हुए कहा है कि वो साध्वी का जीवन जीना जारी रखेंगी. ममता ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो बता रही हैं कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी आचार्य महामंडलेश्वर ने उन्हें समझाया, जिसके बाद ममता ने इस्तीफा वापस लिया है.

ममता ने शेयर किया वीडियो
ममता ने वीडियो में कहा- नमस्ते, मैं ममता, दो दिन पहले मेरे पट्टा गुरु डॉ श्री आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के ऊपर कुछ लोगों ने गलत आरोप लगाए हैं. उस भावना में आकर मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया, लेकिन उन्होंने वो इस्तीफा नामंजूर कर दिया. मैं उनकी आभारी हूं कि उन्होंने वापस से मुझे इस पद पर बिठाया और आगे चलकर मैं अपना जीवन किन्नर अखाड़ा और सनातन धर्म के लिए समर्पित करूंगी.

बता दें कि ममता कुलकुर्णी ने महाकुंभ में अपना पिंडदान किया था. इसके बाद उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनाया गया था. लेकिन इस पर खूब विवाद हुआ था, जिसके बाद ममता ने इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देते हुए ममता ने कहा था कि मैं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं. मैं बचपन से ही साध्वी रही हूं और आगे भी रहूंगी…

जब ममता पर उठे सवाल
प्रयागराज महाकुंभ में ममता ने पूरी रीति से किन्नर अखाड़े में दीक्षा ली थी और फिर हाथों-हाथ उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया गया था. उन्होंने पिंडदान किया, संगम में स्नान किया, फिर उनका पट्टाभिषेक हुआ और वो महामंडलेश्वर बना दी गईं. ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनते ही कई तरह के सवाल उठने लगे थे.

बाबा रामदेव से लेकर अखाड़े के ही कई संतों-लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी. ममता के लिए कहा गया था कि कल तक जो सांसारिक सुखों मे लिप्त थे, अचानक एक ही दिन में संत बन गए हैं और महामंडलेश्वर जैसी उपाधि ले रहे हैं.

कड़ी परीक्षा के बाद बनीं थीं महामंडलेश्वर
हालांकि ममता बता चुकी थीं कि इस पद को उन्हें सौंपने से पहले उनकी कड़ी परीक्षा ली गई थी. ममता ने कहा था कि महामंडलेश्वर बनाए जाने से पहले 4 जगतगुरू ने मेरी परीक्षा ली. मुझसे कठिन सवाल किए. मेरे उत्तरों से वो समझ गए कि मैंने कितनी तपस्या की है. मुझसे 2 दिनों से आग्रह कर रहे थे कि महामंडलेश्वर बनो तो मैने कहा मुझे लिबास की क्या आवश्यकता है. इस कपड़े को सम्मिलित करूंगी तब इसे धारण कर सकती हूं, क्या पुलिस वाला घर पर भी वर्दी पहनता है.

बातचीत में ममता ने महामंडलेश्वर पद मिलने पर कहा था- ये अवसर 144 सालों बाद आया है, इसी में मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया है. ये केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं. मैंने किन्नर अखाड़ा ही इसलिए चुना, क्योंकि यहां कोई बंदगी नहीं है, ये स्वतंत्र अखाड़ा है. जीवन में सब चाहिए आपको. एंटरटेनमेंट भी चाहिए. हर चीज की जरूरत होनी चाहिए. ध्यान ऐसी चीज है, जो भाग्य से ही प्राप्त हो सकता है. सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने बहुत कुछ देखा था फिर उनमें परिवर्तन आया.

गौरतलब है कि ममता ने 1996 से ही आध्यात्म का रास्ता अपना लिया था, और भक्ति की राह पर चल पड़ी थीं. वो दावा करती हैं कि वो 12 साल से साध्वी का जीवन जी रही हैं

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