मणिपुर के लुवांगसनोल सेकमाई में मंगलवार को कुकी और मैतेई गुट के बीच गोलीबारी हुई. 19 अप्रैल को पहले फेज के लोकसभा चुनाव के दौरान इनर मणिपुर लोकसभा सीट पर हुई फायरिंग के बाद ये मणिपुर में फायरिंग की पहली घटना है. फिलहाल किसी की जान जाने की खबर नहीं है. हालांकि, गोलीबारी की वजह से आसपास के गांवों के लोग परेशान नजर आए.
कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (CoTU) ने इसे मैतेई गुट और अरामबाई टैन्गोल का कुकी-जो पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की है. CoTU के मीडिया सेल कॉर्डिनेटर लुन किपगेन ने बताया कि अरामबई टैन्गोल और मैतेई उग्रवादियों ने लोकसभा चुनाव के पहले फेज की वोटिंग के दौरान उपद्रव किया था. अब इन गुटों ने अपनी इमेज सुधारने के लिए फाइलेंग-लुवांगसांग्गोल गांव में कुकी-जो पर हमला किया है.
किपगेन ने बताया कि 14 अप्रैल को फाइलेंग मोल में हालिया समय का सबसे बुरा मानवाधिकार उल्लंघन हुआ था. इस दिन मैतेई और अरामबाई टैन्गोल ने जो हमला किया था, उसमें दो कुकी-जो वॉलंटियर्स की जान चली गई थी. किपगेन ने ये भी कहा कि अब तक प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है.
किपगेन ने कहा कि संबंधित प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई न होने की वजह से मैतेई उग्रवादी और अरामबाई टैन्गोल पहले से ज्यादा प्रभावी हो गया है. इसी वजह से फाइलेंग मोल में कुकी-जो समुदाय के दो लोगों की हत्या के एक हफ्ते के बाद ही दूसरा हमला कर दिया गया.
किगपेन ने कहा कि अब बहुत हो गया है. इस इलाके में शांति बनाए रखने के लिए हमें और कितना बलिदान देना होगा? केंद्र सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए और एन बीरेन सिंह को निर्देश देना चाहिए कि वे कुकी-जो समुदाय के लोगों पर हो रहे इन हमलों को रोकें. बिरेन सिंह को देखना चाहिए कि उनकी वजह से उनके अपने समुदाय और कुकी-जो लोगों को कितनी बर्बादी सहनी पड़ी है. उन्हें शांति से इस्तीफा दे देना चाहिए.