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इंदौर में छात्रा की खुदकुशी के बाद उठे कई सवाल, मनोचिकित्सक बोले- एक दिन में नहीं आता ऐसा विचार

इंदौर। इंदौर में छात्रा अंजलि द्वारा बिल्डिंग की 14वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर लेने के मामले ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर किन हालातों में और क्यों बच्चे ऐसा गंभीर कदम उठा लेते हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि पारिवारिक विवाद, इंटरनेट मीडिया और सबसे आगे रहने की दौड़ बच्चों को मानसिक तनाव दे रही है।

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इंदौर में मनोचिकित्सकों और बाल एवं किशोर चिकित्सकों के पास भी अब बच्चों में तनाव के मामलों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। बच्चों के व्यवहार में हो रहे बदलावों को स्वजन अनदेखा कर देते हैं। उन्हें लगता है कि वह एक उम्र के बाद ठीक हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं होता है।

बच्चे धीरे-धीरे मानसिक तनाव का शिकार होने लगते हैं। कई बार इन बच्चों के मन में आत्महत्या करने जैसे विचार भी आने लगते हैं। लेकिन यह विचार एक दिन में नहीं आते हैं। यह धीरे-धीरे आते हैं। स्वजन को समय पर इसे पहचान लेना चाहिए।

विशेषज्ञों के मुताबिक यदि बच्चे के व्यवहार में बदलाव जैसे खोया-खोया रहना, खाना ठीक से नहीं खाना, किसी गतिविधि में रुचि नहीं लेना, नींद में बदलाव आदि दिखें तो उस पर गौर करने की आवश्यकता है। वहीं आजकल बच्चे मोबाइल पर भी समय बिताते हैं, इस पर स्वजन को ध्यान रखना चाहिए कि वह देख क्या रहे हैं।

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