छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एक माओवादी नेता की उसके साथियों ने कथित तौर पर हत्या कर दी. बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि यह घटना छह सितंबर को कांकेर के परतापुर थाना क्षेत्र के मलमपेंटा के जंगल में हुई है. उन्होंने ये भी बताया कि माओवादियों के राजनांदगांव-कांकेर सीमावर्ती डिवीजन के एरिया कमेटी सदस्य और दक्षिण बस्तर के निवासी विज्जा मड़कम की उसके साथियों ने तेलुगू माओवादी नेता विजय रेड्डी के निर्देश पर बेरहमी से हत्या की है.
माओवादी नेता विजय रेड्डी के इशारे पर संगठन ने विज्जा मड़कम पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया था. उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि इस साल बस्तर क्षेत्र में कई मुठभेड़ों में तेलंगाना, ओड़िशा, महाराष्ट्र और अन्य क्षेत्रों से जुड़े वरिष्ठ कैडरों की मौत के बाद प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व में दहशत है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
मुखबिर होने का संदेह
छत्तीसगढ़ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अपने ही कैडर के कार्यकर्ता को मुखबिर होने के संदेह में अन्य राज्यों के वरिष्ठ माओवादी अपने स्थानीय सहयोगियों को निशाना बना रहे हैं, जिससे प्रतिबंधित संगठन के भीतर अंदरूनी कलह की स्थिति पैदा हो रही है.
मानव ढाल के रूप में हो रहा कैडर का इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि शीर्ष माओवादी मुठभेड़ों के दौरान भागने के लिए स्थानीय कैडरों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन नक्सलियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच क्षेत्र में हाल ही में हुई गोलीबारी में शीर्ष माओवादियों की यह रणनीति विफल होती दिख रही है.
आठ माह में 153 नक्सली ढेर
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पीसुंदरराज ने बताया कि पिछले आठ महीनों में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के सदस्य जोगन्ना और रंधीर, केंद्रीय पुनर्गठन समिति (सीआरसी) के कमांडर सागर और डिवीजनल कमेटी के सदस्य विनय जैसे शीर्ष कैडर सहित 153 नक्सली सुरक्षाकर्मियों के साथ सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए.
आईजी ने की हिंसा छोड़ने की अपील
इससे देश में माओवादियों के सबसे मजबूत संगठन डीकेएसजेडसी को राज्य में बड़ा झटका लगा है. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व पिछले 30 से 40 सालों से स्थानीय माओवादी कार्यकर्ताओं को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर करोड़ों रुपए लूट रहे हैं. अब बाहरी माओवादी कार्यकर्ता स्थानीय कार्यकर्ताओं के सामने बेनकाब हो रहे हैं, जिसके कारण संगठन में विद्रोह की स्थिति पैदा हो रही है. सुंदरराज ने माओवादियों से बस्तर क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और विकास के लिए हिंसा छोड़ने का अनुरोध किया है.