प्रपोजल रिजेक्ट किया तो पुरुष का पीछा करने लगी शादीशुदा महिला, कोर्ट ने कहा-300 मीटर तक नजर नहीं आना

देशभर में हम ऐसे केस सुनते हैं जहां महिलाएं शिकायत करती हैं कि पुरुष उनका पीछा कर रहे हैं. उनको परेशान कर रहे हैं. लेकिन, हाल ही में दिल्ली की एक अदालत के सामने एक ऐसा केस आया है जहां महिला से कोर्ट ने कहा है कि वो शादीशुदा पुरुष का पीछा करना छोड़ दे.

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दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक महिला को एक विवाहित व्यक्ति का पीछा करने और उसे परेशान करने से रोक दिया है. दरअसल, महिला शादीशुदा पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उससे कह रही थी. लेकिन, पुरुष ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और उसका प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया. इसी के बाद महिला ने पुरुष का पीछा करना और उसे परेशान करना शुरू कर दिया था.

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

रोहिणी कोर्ट की सिविल जज रेणु ने कहा कि महिला (जो शादीशुदा है) पुरुष के फ्लैट के 300 मीटर के दायरे में नहीं आ सकती है और न ही किसी भी तरह से उससे और उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क कर सकती है.

इस मामले में अदालत ने आदेश दिया कि महिला को पुरुष या उसके परिवार के किसी भी सदस्य का व्यक्तिगत रूप से या इलेक्ट्रॉनिकटेलीफ़ोन या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित किसी भी तरह से बातचीत करना, पीछा करना, परेशान करने से भी रोका जाता है. महिला को पुरुष या उसके परिवार के सदस्यों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से, यहां तक कि किसी तीसरे पक्ष के जरिए से भी संपर्क करने का कोई भी प्रयास करने से रोका जाता है.

क्या है पूरा मामला?

व्यक्ति ने अदालत में यह कहते हुए याचिका दायर की कि साल 2019 में एक आश्रम में उसकी महिला से पहली बार मुलाकात हुई. इसी के बाद दोनों एक-दूसरे से बातचीत करने लगे. साल 2022 में, उसने कथित तौर पर महिला के प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह एक शादीशुदा व्यक्ति है और उसके बच्चे भी हैं.

पुरुष ने प्रपोजल किया रिजेक्ट

व्यक्ति के इनकार करने के बाद भी महिला ने इसका पीछा करना और सोशल मीडिया पर उसके बच्चों को स्टॉक करना जारी रखा. साथ ही महिला उसके फ्लेट पर भी जाती रही और पुरुष पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाती रही. साथ ही व्यक्ति ने बताया कि महिला उसको यहां तक धमकी देती थी कि अगर वो उसको इसी तरह इग्नोर करेगा तो वो सुसाइड कर लेगी.

मामले पर विचार करने के बाद, जज रेणु ने कहा कि महिला की यह हरकत पुरुष के स्वतंत्र रूप से घूमने-फिरने के मौलिक अधिकारों को प्रभावित कर रहा है और उसे शांतिपूर्वक जीवन जीने से रोक रहा है. अदालत मामले में सुनवाई करने बाद इस नतीजे पर पहुंचा कि इस तरह के हस्तक्षेप से ऐसा नुकसान होता है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है. इसलिए, अदालत ने महिला पर पुरुष का पीछा करने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया.

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