विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिए जनभागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया है। राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन बड़वानी में किया गया, जहां राज्यपाल ने प्रत्यक्ष रूप से और मुख्यमंत्री ने इंदौर से वर्चुअली सहभागिता की।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि सिकल सेल जैसी आनुवंशिक बीमारी को समाप्त करने के लिए जागरूकता, समय पर जांच और उचित चिकित्सा बेहद जरूरी है। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से आग्रह किया कि वे सिकल सेल से जुड़ी जानकारी को पाठ्यक्रम और गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाएं।उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले जनजातीय छात्रों से विशेष रूप से अपील की कि वे इस क्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित करें और अपने समाज की सेवा करें।राज्यपाल ने कहा, “हमारे समाज में विवाह पूर्व कुंडली मिलान की परंपरा है, अब इसमें ‘जेनेटिक कार्ड’ की भी अनिवार्यता होनी चाहिए। इससे भावी पीढ़ियों को सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है।”
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिकल सेल को केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जनजातीय समाज में यह रोग बड़े स्तर पर फैला हुआ है।मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए “राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन-2047” का ज़िक्र करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार इस मिशन के तहत स्क्रीनिंग, परामर्श, रोग प्रबंधन और जन-जागरूकता के चार मुख्य स्तंभों पर काम कर रही है।अब तक प्रदेश में 1 करोड़ 6 लाख नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जा चुकी है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक इस बीमारी को पूरी तरह समाप्त करना है.कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का प्रदेश की जनता के नाम भेजा गया संदेश भी पढ़कर सुनाया।राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों ने यह स्पष्ट किया कि सिकल सेल से लड़ाई सिर्फ सरकार की नहीं, हर नागरिक की साझी जिम्मेदारी है। समाज के हर वर्ग को इस बीमारी के प्रति सजग और जागरूक बनाना ही सच्चा समाधान है।