इटावा में भीषण अग्निकांड: दो गांवों में 2 किलोमीटर तक गेहूं की फसल स्वाहा, किसानों पर टूटा दुखों का पहाड़

इटावा : जिले के चौबिया क्षेत्र में आज दोपहर एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जब बख्तियारपुर और अतिराजपुर गांवों के बीच के खेतों में अचानक आग लग गई. लगभग दो किलोमीटर क्षेत्र में फैली इस भीषण आग ने सैकड़ों किसानों की लहलहाती गेहूं की फसल को पल भर में राख में तब्दील कर दिया. घटना ने पूरे इलाके को शोक और चिंता में डाल दिया है.

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तेज हवाओं के बीच लगी इस आग ने इतनी तेजी से विकराल रूप लिया कि देखते ही देखते आसपास के खेत भी इसकी चपेट में आ गए. धुएं के घने गुबार और आग की ऊंची लपटें कई किलोमीटर दूर से साफ नजर आ रही थीं. आग लगने की खबर मिलते ही गांव के लोग मदद के लिए दौड़ पड़े. ग्रामीणों ने ट्रैक्टरों में पानी भरकर, बाल्टी, बोरी और अन्य पारंपरिक तरीकों से आग बुझाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन आग की भयावहता के आगे ये प्रयास नाकाफी साबित हुए.

 

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दमकल विभाग को तुरंत सूचना दी गई. दमकल की कई गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचीं और संकरी पगडंडियों के बीच से होते हुए खेतों तक पहुंचकर आग बुझाने के काम में जुट गईं. घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका, लेकिन तब तक सैकड़ों एकड़ फसल पूरी तरह से जल चुकी थी.

इस हादसे में सबसे ज्यादा नुकसान बख्तियारपुर और अतिराजपुर गांवों के किसानों को हुआ है. कई किसानों की तो यही एकमात्र फसल थी, जिससे उनका साल भर का गुजर-बसर चलता था। फसल की बर्बादी के बाद अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. घटना स्थल पर मौजूद कई किसान फूट-फूटकर रोते नजर आए, कुछ तो सदमे में खेतों में ही गिर पड़े.

घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया. अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित किसानों को हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिलाया। फिलहाल नुकसान के आंकलन का काम जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही उचित मुआवजा घोषित करेगी.

 

आग लगने के कारणों की जांच जारी है. हालांकि, कुछ लोग इसे गर्म और शुष्क मौसम का नतीजा मान रहे हैं, तो कुछ इसे किसी चिंगारी या मानवीय लापरवाही का परिणाम बता रहे हैं. पुलिस और प्रशासन मिलकर पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.

यह हृदयविदारक घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि खेतों में लगने वाली आग की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. किसानों को ऐसे हादसों से बचाव के उपायों की जानकारी दी जानी चाहिए और प्रशासन को भी सतर्कता बढ़ानी होगी.

फिलहाल, बख्तियारपुर और अतिराजपुर गांवों में मातम पसरा है. किसानों की आंखों के सामने उनकी मेहनत की फसल जलकर राख हो गई है. अब उन्हें सरकार और समाज से मदद की आस है ताकि वे इस कठिन समय से उबर सकें और दोबारा से अपने जीवन को संवार सकें.

 

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