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मऊगंज में गौमांस टैक्स-फ्री अधिसूचना पर बवाल: विहिप ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, नीतियों और जनभावनाओं से बताया खिलवाड़

मऊगंज: मध्य प्रदेश सरकार की ओर से हाल ही में जारी गोवंश संबंधित टैक्स-फ्री अधिसूचना ने विवाद खड़ा कर दिया है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की मऊगंज जिला इकाई ने शुक्रवार को इस निर्णय का विरोध करते हुए कलेक्टर संजय कुमार जैन को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपा. परिषद ने इसे न केवल मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम के विपरीत बताया, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम भी करार दिया.

विहिप का तर्क है कि गौमांस को टैक्स-फ्री करना वस्तुतः गोहत्या को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने जैसा है. परिषद पदाधिकारियों का कहना है कि एक ओर राज्य सरकार “गो संरक्षण वर्ष” मना रही है, वहीं दूसरी ओर यह अधिसूचना जारी करना शासन की नीतियों और जनमानस की आस्था से खिलवाड़ है.

आठ सूत्रीय मांग रखी

ज्ञापन में विहिप ने आठ सूत्रीय मांगें रखीं. इनमें अधिसूचना को तत्काल वापस लेने के साथ ही छोटे जिलों और तहसीलों में संचालित अवैध कसाईखानों पर कठोर कार्रवाई की मांग प्रमुख रही. परिषद ने कहा कि ऐसे कसाईखाने बड़े शहरों तक गौमांस की सप्लाई करते हैं, जिन्हें रोकना आवश्यक है. इसके अलावा जिला और राज्य स्तर पर कसाईखाना नियंत्रण समिति गठित करने तथा नियमित निगरानी का सुझाव भी दिया गया.

विहिप ने मांस बाजारों में उपलब्ध मांस की रैंडम जांच और गौमांस की मिलावट पर रोक लगाने पर बल दिया. साथ ही गौमूत्र और गोबर से बने उत्पादों को करमुक्त करने का प्रस्ताव भी सामने रखा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और गो संरक्षण को बढ़ावा मिले.

आंदोलन की चेतावनी

विहिप पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस अधिसूचना को वापस नहीं लिया तो परिषद आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी. कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह मुद्दा केवल धार्मिक आस्था से नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक धरोहर और भारतीय कृषि-जीवन प्रणाली से भी गहराई से जुड़ा है. उनका कहना था कि गो-माता भारतीय संस्कृति की आधारशिला हैं और जनमानस की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाला निर्णय किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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