छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट के लिए हर बार सभी चुनाव लड़ने वाले माया राम नट ने सूअर बेचकर नामांकन पत्र खरीदा है. इस बार वे अपनी बहू विजय लक्ष्मी को असंख्य समाज पार्टी से चुनावी मैदान में उतार रहे हैं. इससे पहले, वे खुद पंचायत, जनपद और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं.
दरअसल, महंत गांव के रहने वाला माया राम नट घुमंतू समाज से आते हैं. इनकी पीढ़ी बांस के डांंग में करतब दिखाते आ रही है, जिन्हें नट या डंगचगहा भी कहते हैं. उन्हें करतब के लिए पहचाना जाता है.
2001 में पंचायत चुनाव लड़कर माया राम नट पहली बार पंच बने थे. 2004 से लेकर हर विधानसभा, लोकसभा और जिला पंचायत के साथ जनपद का चुनाव लड़ते आ रहे हैं. एक बार अपनी बहू को भी जनपद पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बना चुके हैं. इसमें बहू को जीत हासिल हुई थी. 2023 में पामगढ़ विधानसभा रिजर्व सीट से अपना नामांकन भरा था.
मायाराम ने बताया कि वे कच्चे मकान में रहते हैं. उनके पास पैसा नहीं है. कोई पुश्तैनी संपत्ति भी नहीं है. फिर भी वो लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचने की उम्मीद से चुनावी मैदान में उतरते हैं. उनके सामने प्रत्याशी कोई भी रहे, कितना भी खर्च करे, माया राम गांव-गांव जाकर लोगों को डंगचगहा करतब दिखाकर अपना प्रचार करते है. लोगों से करतब दिखाने का इनाम भी लेते हैं.
उन्होंने बताया कि, उनका सूअर पालन का व्यवसाय है. हर बार सूअर बेचकर नामांकन फॉर्म खरीदते हैं. उनके पास 100 से ज्यादा छोटे-बड़े सूअर हैं, जिसमें बड़े की कीमत 10 हजार रुपए तक मिल जाती है. छोटे सूअर तीन से पांच हजार रुपए में बिकते हैं.
घुमंतू समाज के होने के चलते इनके बच्चों का जाति प्रमाण पत्र ही नहीं बनता था. समाज के बच्चे स्कूल का गेट भी नहीं देख पाते थे. इसके बाद भी माया राम ने अपने बेटे को पढ़ाने की ठानी और शिक्षक बनाया. वहीं, बहू विजय लक्ष्मी को भी चुनाव में उतार कर जनपद सदस्य बना चुके हैं.
माया राम का मानना है कि लोगों में उनके विचार के प्रति सहानुभूति है. वे बदलाव चाहते हैं. जिस कारण 15-16 प्रत्याशियों में कई बार पांचवा स्थान तक मिला है. माया राम कहते हैं, सिर्फ दिखावे या कोई प्रचार पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं, बल्कि पिछड़े वर्ग की सेवा करना चाहते हैं.