बेंगलुरु की एक कंपनी में बतौर AI इंजीनियर काम कर रहे अतुल सुभाष मोदी ने खुदकुशी कर ली है. सुसाइड से पहले उन्होंने तकरीबन 1 घंटा 20 मिनट का वीडियो भी पोस्ट किया है. साथ ही 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा है. इसमें उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार वालों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है.
सुसाइड नोट में अतुल ने बताया कि निकिता और उसके परिवार वालों ने उनपर घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, दहेज प्रताड़ना समेत 9 केस दर्ज करवा दिए थे. अतुल और निकिता की शादी 2019 में हुई थी. अतुल ने बताया कि शादी के बाद से ही निकिता और उसके परिवार वाले किसी न किसी बहाने से उनसे पैसे मांगते थे.
वीडियो में अतुल कह रहे हैं कि मुझे खुदकुशी कर लेनी चाहिए, क्योंकि मैं जो पैसा कमा रहा हूं, उससे मेरे दुश्मन और मजबूत हो रहे हैं. मेरे टैक्स से मिलने वाले पैसे से कोर्ट और पुलिस सिस्टम मुझे, मेरे परिवार और अच्छे लोगों को परेशान करेगा. इसलिए वैल्यू की सप्लाई खत्म होनी चाहिए.
इस पूरे मामले का लब्बोलुआब बस इतना है कि अतुल के खिलाफ कथित रूप से उनकी पत्नी और रिश्तेदारों ने झूठे केस दर्ज करवा दिए थे. इसने उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर कर दिया.
लेकिन आत्महत्या जैसा ठोस कदम उठाने वाले अतुल सुभाष अकेले नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं. दुनियाभर में आत्महत्या मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह है. अकेले भारत में साल दर साल आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है.
महिलाओं से ज्यादा पुरुष कर रहे आत्महत्या
एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या कहीं ज्यादा है. दो दशकों के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सुसाइड करने वाले हर 10 में से 6 या 7 पुरुष होते हैं. 2001 से 2022 के दौरान हर साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 40 से 48 हजार के बीच रही. जबकि, इसी दौरान सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या 66 हजार से बढ़कर 1 लाख के पार चली गई.
2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से 1.22 लाख से ज्यादा पुरुष थे. यानी हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं. इस हिसाब से हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष सुसाइड कर रहा है. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के आंकड़े बताते हैं कि पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं. WHO के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं. वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है.
एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते आते हैं. इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड के मामले ज्यादा सामने आते हैं.
पिछले साल 30 से 45 साल की उम्र के 54,351 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें से लगभग 77 फीसदी पुरुष थे. इसी तरह 18 से 30 साल की उम्र के 59,108 लोगों ने सुसाइड की, जिनमें से 65 फीसदी पुरुष थे. वहीं, 45 से 60 साल की उम्र के आत्महत्या करने वाले 31,921 लोगों में से 82 फीसदी से ज्यादा पुरुष शामिल थे. यही रिपोर्ट ये भी बताती है कि आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग शादीशुदा होते हैं. पिछले साल 1,14,485 शादीशुदा लोगों ने सुसाइड की. इनमें करीब 74 फीसदी पुरुष थे.
आत्महत्या की वजह क्या है?
हर व्यक्ति की आत्महत्या करने का अलग-अलग कारण होता है. एक्सपर्ट का मानना है कि डिप्रेशन, तनाव की वजह से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. कई बार मेडिकल कारण भी होता है. इसके अलावा जब इंसान के पास अपनी परेशानी से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, तो भी वो सुसाइड कर लेता है.
एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या करने वाले कारणों के बारे में भी बताया है. इसके मुताबिक, फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी (एड्स, कैंसर आदि) से तंग आकर लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. पिछले साल 32% सुसाइड फैमिली प्रॉब्लम और 19% बीमारी की वजह से हुई हैं. शादी से जुड़ी परेशानियों की वजह से 2022 में 8,164 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें से 52 फीसदी पुरुष थे.
पर मर्द क्यों करते हैं ज्यादा आत्महत्या?
2011 में एक रिसर्च हुई थी. इसमें ये पता लगाने की कोशिश की गई थी कि आखिर महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं? इस रिसर्च में सामने आया था कि समाज में पुरुषों को अक्सर ताकतवर और मजबूत समझा जाता है और इस वजह से वो अपने डिप्रेशन या सुसाइल फीलिंग को दूसरे से साझा नहीं कर पाते और आखिर में थक-हारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं.
2003 में भी एक मर्दों में सुसाइड को लेकर यूरोप में स्टडी हुई थी. इस स्टडी में बताया गया था कि बेरोजगारी के समय मर्दों के सुसाइड करने का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि समाज और परिवार को जो उनसे उम्मीद है, उस पर वो खरे नहीं उतर पा रहे हैं. इन सबके अलावा पुरुषों में सुसाइड की एक वजह शराब और ड्रग्स की लत को भी माना जाता है, क्योंकि नशा सुसाइडल टेंडेंसी को बढ़ाता है.
क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है?
इस बात को लेकर अक्सर बहस होती रहती है कि क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है? तो इसका जवाब है- पहले हां था लेकिन अब नहीं. आईपीसी में आत्महत्या की कोशिश करना अपराध था. लेकिन भारतीय न्याय संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, इसमें धारा 224 है, जो कहती है कि जो कोई किसी लोकसेवक को काम करने के लिए मजबूर करने या रोकने के मकसद से आत्महत्या की कोशिश करता है, तो उसे एक साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है.
हालांकि, मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 की धारा 115 आत्महत्या की कोशिश करने वाले तनाव से जूझ रहे लोगों को इससे राहत देती है. ये धारा कहती है कि अगर ये साबित हो जाता है कि आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति बेहद तनाव में था, तो उसे किसी तरह की सजा नहीं दी जा सकती.
बहरहाल, आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आपको भी कोई परेशानी है तो दोस्तों-रिश्तेदारों से बात करें या डॉक्टरी सलाह लें. सही समय पर सही सलाह ले ली तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है.