एमजीएम मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में एक वर्ष से दिल के अंदर फंसी एयरगन की तीन सुईयां विशेषज्ञों ने जटिल सर्जरी कर निकाली है। 29 वर्षीय पर एक वर्ष पहले एयरगन से हमला हुआ था। तभी से उसके सीने के बाईं ओर लगातार दर्द बना हुआ था। इंदौर के कई अस्पतालों में उसने इलाज करवाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। क्योंकि दिल के अंदर दो सुई 2.5 और 1.5 इंच की फंसी हुई थी, वहीं एक इंच लंबी सुई सीने में फंसी थी।
सीने की झिल्ली और फेफड़ों के आसपास भी सुई
ऐसे में ऑपरेशन करना बहुत जोखिम भरा होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि युवक जब सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचा, यहां डॉक्टरों ने जांच की। 2-डी इको में दिल के बाएं हिस्से में फंसी हुई सुई दिखाई दी। वहीं सीटी स्कैन में सीने की झिल्ली और फेफड़ों के आसपास भी सुई मिली। रिपोर्ट से पता चला कि बिना ऑपरेशन के मरीज की जान को खतरा बढ़ता जाएगा। सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया है, उसकी हालत में सुधार हो रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक समय-समय पर जांच और रिहैबिलिटेशन के साथ मरीज अब सामान्य जीवन जी सकेगा। डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि एसएसएच में जटिल सर्जरी हो रही है, जिससे मरीजों को लाभ मिल रहा है। मरीज को निजी अस्पताल में उपचार के लिए मना कर दिया था, लेकिन यहां इलाज मिला है।
पांच घंटे तक चली जटिल सर्जरी
मरीज और स्वजन को पूरी स्थिति समझाने के बाद कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग की टीम ने ऑपरेशन का फैसला लिया। डॉ. सुमित प्रताप सिंह के नेतृत्व में करीब पांच घंटे तक चले इस ऑपरेशन में दिल की नाजुक नसों और हिस्सों को बिना नुकसान पहुंचाए सुई को बाहर निकाला गया। सर्जन टीम में डॉ. सिंह के साथ डॉ. अंकुर गोयल और डॉ. प्रमेश जैन रहे। इसके अलावा एनेस्थीसिया टीम में डॉ. निमिष जैन, डॉ. उषा, परफ्यूजनिस्ट कृष्णकांत, ओटी स्टाफ में प्राची, मोनिका, हनी, चेतन, बृज और स्वाति शामिल रहे। सर्जरी में कार्डियोलाजी, रेडियोलाजी, एनेस्थीसिया और ब्लड बैंक विभाग का भी सहयोग रहा।