आज के समय में हर कोई लाइफस्टाइल (Lifestyle) के मामले में दूसरे से बेहतर बनने की होड़ में लगा नजर आता है, फिर चाहे इसके लिए वो कर्ज के जाल में ही क्यों न फंस (Debt Trap) जाए. ये सच है और आंकड़े भी कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं, कि लोग अब घर खरीदने या बनवाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी लाइफस्टाइल को लेकर कर्ज में डूब रहे हैं और उनके ऊपर ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ता जा रहा है. एक एक्सपर्ट्स के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि खासतौर पर मिडिल क्लास, जो Bank Loan या Credit Card Loan ले रहा है, उसमें से 55 फीसदी घर के लिए यानी Home Loan नहीं हैं. ये लोन लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजों पर खर्च करने के लिए लिए जा रहे हैं. यानी महंगे मोबाइल-बाइक्स या कार और अन्य सामानों के लिए उधारी ली जा रही है.
कैसे कर्ज के जाल में फंस रहा मिडिल क्लास?
उधार के पैसे से शौक पूरे करते हुए मौज करने वाले लोग जान-बूझकर EMI के जाल में फंस रहे हैं, क्योंकि आज आपको महंगा आईफोन (iPhone) लेना हो, या फिर महंगी बाइक, या फिर कुछ और सामान हर महीने की आसान किस्तों में मिल ही जाता है. कुछ मामलों में जेब में पैसे न हों फिर भी आप जीरो डाउन पेमेंट ईएमआई पर अपनी मनचाही चीज खरीद सकते हैं. इस मामले में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) अहम रोल निभा रहा है, दरअसल, EMI नहीं भी बनवाओ, फिर भी इसके जरिए किसी चीज को खरीदने पर तुरंत जेब खाली नहीं करनी होती, बल्कि इससे पेमेंट करने पर बकाया चुकाने के लिए कुछ समय मिल जाता है.
यही कारण है कि देश में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल खास तौर पर तेजी से बढ़ा है. रिपोर्ट की मानें तो बीते 13 सालों में क्रेडिट कार्ड पर खर्च (Credit Card Spent) 13 गुना बढ़ गया है और 1.2 लाख करोड़ रुपये से अब बढ़कर 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
पर्सनल खर्च के लिए आधे से ज्यादा Loan
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट भी कह रहे हैं कि भारत का घरेलू ऋण उपभोग तेजी से बढ़ रहा है, जबकि परिसंपत्ति निर्माण से दूर जा रहा है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट प्रांजल कामरा बताते हैं कि औसत पर्सनल लोन (Personal Loan) सिर्फ पिछले दो वर्षों में 23 फीसदी तक बढ़ गया है और इस उधारी का आधे से ज्यादा हिस्सा अब व्यक्तिगत जरूरतों पर खर्च हो रहा है. अपनी एक लिंक्डइन पोस्ट (LinkedIn Post) में कामरा ने बचाया कि प्रति व्यक्ति उधारकर्ता का औसत ऋण 2023 में 3.9 लाख रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 4.8 लाख रुपये हो गया.
क्रेडिट कार्ड बना कर्ज का बड़ा जरिया
सबसे बड़ा बदलाव यह है कि भारतीय अब कैसे और क्यों उधार ले रहे हैं? तो इसे आंकड़ों के जरिए समझते हैं. कामरा के मुताबिक, गैर-आवासीय खुदरा ऋण अब कुल ऋण का 55% हिस्सा हैं, जो Home Loan से कहीं ज्यादा है. बता दें कुल लिए जा रहे लोन में होम लोन का हिस्सा सिर्फ 29 फीसदी है. जबकि, 55 फीसदी में क्रेडिट कार्ड बकाया (Credit Card Bill), व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) और कार ऋण (Auto Loan) शामिल हैं. मतलब ऐसे लोन हैं, जो आमतौर पर परिसंपत्ति निर्माण के बजाय उपभोग से जुड़े हैं. इसे रिटेल लोन ग्रोथ (CAGR) क आंकड़ों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है.
कर्ज का जरिया | पूर्व-महामारी (FY09-19) में | महामारी के बाद (FY19-24) |
क्रेडिट कार्ड | 12.1% | 21.0% |
पर्सनल लोन | 15.1% | 18.2% |
ऑटो लोन | 16.5% | 14.8% |
होम लोन | 19.0% | 15.5% |
इस अवधि में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में सबसे बड़ा उछाल देखने को मिला है. जहां 13 साल क्रेडिट कार्ड पर खर्च 1.2 लाख करोड़ से 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है. तो वहीं सर्कुलेशन में Credit Cards की संख्या भी 5 गुना बढ़कर 2 करोड़ से 10.8 करोड़ हो गई है.
अब लाइफस्टाइल और संतुष्टि के लिए कर्ज
Middle Class कैसे तेजी से कर्ज के जंजाल में फंसता जा रहा है, इसे तमाम आकडों के जरिए समझाते हुए प्रांजल कामरा ने इस बदलाव का सार कुछ इस तरह से दिया. उन्होंने कहा कि हमारे माता-पिता संपत्ति बनाने के लिए उधार या लोन लेते थे, आज ज़्यादातर लोग तात्कालिक संतुष्टि पाने के लिए उधार ले रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आंकड़े संरचनात्मक उपभोक्ता बदलाव का संकेत हैं या फिर किसी वित्तीय खतरे का. Retail Loan में में तेज बढ़ोतरी ने केंद्रीय बैंक (RBI) को भी चिंतित किया है और हालिय महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक ने बार-बार बढ़ते पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड बकाया को घरेलू बैलेंस शीट के लिए एक संभावित जोखिम के रूप में चिह्नित किया है.
इस बीच इकोनॉमिस्ट भी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर बढ़ते अन-सिक्योर्ड लोन (Unsecured Loan) पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इससे डिफॉल्ट का जोखिम बढ़ सकता है. हालांकि, वे कहते हैं कि उपभोग आधारित उधारी निकट भविष्य में आर्थिक विकास को जरूर बढ़ावा दे सकती है, लेकिन यह युवा भारतीयों के पैसे के प्रति दृष्टिकोण में गहरे बदलावों का भी संकेत देती है.