भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 21 अगस्त को जारी की अपनी एडवाइजरी को वापस ले लिया है. अब दूध और दूध से बनने वाले प्रोडक्ट्स ए1 और ए2 लेबल के साथ बिकते रहेंगे. ये लेबलिंग प्रोटीन के गायों की अलग-अलग नस्लों के आधार पर दूध में अंतर बताती है. पहले फूड रेगुलेटर ने 21 अगस्त को दूध की पैकेजिंग पर A1 और A2 लेबलिंग को भ्रामक बताकर उसके इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा था.
फूड रेगुलेटर FSSAI का कहना है कि उसने सभी ई-कॉमर्स फूड बिजनेस ऑपरेटर बातचीत के बाद अपनी नई एडवाइजरी जारी कर दूध से लेबलिंग हटाने का निर्देश देने वाली एडवाइजरी को वापस ले लिया है. अब बिजनेस ऑपरेटर और डेयरी कंपनियां ए1 और ए2 लेबलिंग के साथ अपने दूध या दूध से बने उत्पादों को बिक्री जारी रख सकते हैं. ए1 और ए2 दूध अपने बीटा-कैसिइन प्रोटीन स्ट्रक्चर से जुड़ा हुआ है. जो गायों की नस्ल और ओरिजिन के आधार पर अलग-अलग बदलता रहता है.
वेस्टन ओरिजिन की गायों से मिलता है A1 दूध
नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएजीआर) के अध्ययन के अनुसार, गिर और साहिवाल जैसे भारतीय गाय और भैंस से मिलने वाला दूध ए2 होता है. जबकि वेस्टन ओरिजिन की गायों से मिलने वाला दूध ए1 होता है. जो सबसे ज्यादा खपत वाला दूध होता है. ए2 दूध को आम तौर पर ए1 दूध की तुलना में बेहतर माना जाता है. हालांकि, इसको लेकर अभी-भी सर्च जारी है. वहीं, फूड रेगुलेटर ने पिछले हफ्ते दूध की पैकिंग पर A1 और A2 लेबलिंग को भ्रामक बताकर उसके इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा था.
बीटा-कैसिइन प्रोटीन के स्ट्रक्चर से जुड़ा है दूध का अंतर
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, FSSAI को जांच में पता चला कि ए1 और ए2 दूध का अंतर बीटा-कैसिइन प्रोटीन के स्ट्रक्चर से जुड़ा हुआ है. बता दें कि एफएसएसएआई ने 21 अगस्त को एक एडवाइजरी जारी कर एफबीओ को छह महीने के अंदर ए1 और ए2 दूध और दूध से बने प्रोडक्ट के पुराने स्टॉक को खत्म करने और नए प्रोडक्ट पर ए1, ए2 लेबलिंग न करने का निर्देश दिया था.