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मिल्कीपुर उपचुनाव: सियासी उठापटक के बीच बगावत और असंतोष के सुर तेज

अयोध्या : मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. जहां प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, वहीं टिकट न मिलने और वादाखिलाफी से नाराज नेताओं के बागी तेवर सियासी समीकरणों को बदलने की ओर इशारा कर रहे हैं.

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बीजेपी में असंतोष

बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन 2017 के विधायक गोरखनाथ बाबा और उनके समर्थकों में इस फैसले से नाराजगी है. गोरखनाथ बाबा की गैरमौजूदगी और उनके समर्थकों का असंतोष, पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है. वहीं, पिछड़ा मोर्चा के विजय यादव समेत कई स्थानीय नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं.

सपा के लिए मुश्किलें

समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया, जिससे सूरज चौधरी ने बगावत कर आजाद समाज पार्टी का दामन थाम लिया. सूरज का आरोप है कि पार्टी में उन्हें सिर्फ वादे किए गए, लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया. अब सूरज चौधरी आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी की एंट्री

बागियों को सहारा देने में कांग्रेस और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने सक्रिय भूमिका निभाई है. ये दल सपा और बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुटे हैं.

जातीय समीकरण और चुनावी गणित

मिल्कीपुर में यादव और पासी समुदाय के वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे. सपा और बीजेपी दोनों के लिए यह जातीय समीकरण चुनौती बन सकते हैं.

मिल्कीपुर उपचुनाव सत्ता के समीकरणों और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का संग्राम बन चुका है। बगावत और असंतोष की यह गूंज आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकती है.

 

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