औरंगाबाद: जिले की नबीनगर विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी समीकरण बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है. शुक्रवार की शाम 7 बजे जब नबीनगर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास पर नजर डाली गई तो जानकारी मिली कि यहां की राजनीति ने काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
यहां से अब तक कई दिग्गज नेता चुनाव जीत चुके हैं. कभी यह सीट कांग्रेस के कब्ज़े में रही. कांग्रेस ने यहां आठ बार प्रतिनिधित्व किया लेकिन वक्त बदला और नबीनगर में कांग्रेस की राजनीति पकड़ कमजोर होती गई। फिर यहां एलजेपी, बीपीपा, जनता पार्टी(जेपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और जेडीयू ने यहां परचम लहराया. वहीं, हाल के वर्षों में राजद ने इस सीट पर अपनी पकड़ मज़बूत कर रखी है और एलजेपी से नाता तोड़कर राजद का हाथ थामे डब्लू सिंह को यहां की जनता ने वर्ष 2020 में अपना समर्थन दिया है.
1990 और 2000 के दशक में इस क्षेत्र पर कांग्रेस और जेडीयू का अच्छा प्रभाव रहा।पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह (भाजपा) का नाम यहां लंबे समय तक असरदार रहा.जदयू के वीरेंद्र सिंह ने भी यहां चुनाव जीता और औरंगाबाद के सांसद तक बने.
वर्तमान समीकरण पर नजर डाले तो वर्तमान विधायक डब्लू सिंह के कार्यकाल में जनता थोड़ी नाराज चल रही है. उनके द्वारा इस नाराजगी को दूर करने के प्रयास जारी है और वह उसमें कुछ सफल होते दिख भी रहे है. विधानसभा के लोगों का कहना है कि वे चुनावी मौसम में ही सक्रिय रहते हैं और जीत के बाद क्षेत्र से ग़ायब हो जाते हैं। विकास कार्यों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है और आम जनता की समस्याओं का समाधान अधूरा पड़ा है.
पूर्व विधायक और पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह (जेडीयू) भी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं, लेकिन लोग मानते हैं कि उम्रदराज़ होने के कारण उनका प्रभाव अब पहले जैसा नहीं रहा. इस बार का चुनाव सीधा न होकर त्रिकोणीय हो सकता है. औरंगाबाद विधानसभा के सभी छह सीटों पर पराजय का सामना करनेवाली एनडीए गठबंधन सभी क्षेत्रों के साथ साथ नबीनगर में अपनी पकड़ बनाने में कुछ हद तक सफल हुई है.बढ़ते जनाधार को देखते हुए जदयू की इस पारंपरिक सीट पर भारतीय जनता पार्टी एवं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर की भी नजर है. जदयू के बीरेंद्र कुमार सिंह एवं संजीव कुमार सिंह के साथ साथ औरंगाबाद के पूर्व बीजेपी संसद सुशील कुमार सिंह, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के पुत्र एवं वरीय भाजपा नेता त्रिविक्रम नारायण सिंह लगातार इस क्षेत्र में अपनी दावेदारी को लेकर सक्रिय है.
वही हम पार्टी के जिलाध्यक्ष रणधीर सिंह एवं पंचायत चुनाव से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले अनु यादव भी अपनी दावेदारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है. वही प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अपनी पकड़ बनाने में यहां कामयाब हो रही है. इस पार्टी से प्रखर नेत्री अर्चना चंद्र यादव की उम्मीदवारी सशक्त मानी जा रही है.लेकिन इन्हें भी कई अन्य उम्मीदवार टक्कर देने में लगे हुए है. अब विभिन्न दल का प्रदेश या केंद्रीय नेतृत्व सिंबल किसे प्रदान करता है यह देखना काफी दिलचस्प होगा. इसके अलावे इस क्षेत्र में कुटुंबा प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र चंद्रवंशी और पंचायत मुखिया अमोल चंद्रवंशी, मृत्युंजय यादव, नीरज सिंह जैसे स्थानीय चेहरे भी अपनी उम्मीदवारी जताकर टक्कर देने की कोशिश में है.