बलिया: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं और छात्रों को “गुंडा” कहने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के द्वारा गैर-जिम्मेदाराना बयान के विरोध में ABVP द्वारा शहर के टीडी कॉलेज चौराहे पर रात्रि में जमकर प्रदर्शन किया और प्रतीकात्मक पुतला फूंका, इसके साथ ही ओपी राजभर के विरुद्ध नारे लगाए गए.
अभाविप के जिला संगठन मंत्री ऋषभ सिंह ने कहा कि श्रीरामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRMU), बाराबंकी में घटित घटनाओं की संपूर्ण ज़िम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही और मनमानी पर है. विश्वविद्यालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से विधि पाठ्यक्रमों की मान्यता को लेकर छात्रों को गुमराह किया और बिना स्पष्ट अनुमोदन व नवीनीकरण के दाख़िले लेकर मोटी फीस वसूली की. यह कृत्य छात्रों के भविष्य के साथ एक प्रकार की शैक्षिक धोखाधड़ी है. इसके अतिरिक्त, छात्रों से मनमाने ढंग से अतिरिक्त शुल्क लिया गया और पारदर्शिता की मांग करने वाले विद्यार्थियों को डराने–धमकाने के लिए निलंबन जैसी दमनात्मक कार्रवाई की गई. जब छात्र अपनी समस्याओं के समाधान के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलनरत थे, तब विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस और बाहरी असामाजिक तत्वों की मदद से आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया. जिसके परिणामस्वरूप निर्दोष छात्रों पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज करवाया गया जिसमे विद्यार्थी गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दमनकारी रवैया किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए कलंक है.
कहा कि SRMU प्रशासन ने छात्रों के अधिकारों, शिक्षा की गुणवत्ता और भविष्य को गहरी चोट पहुँचाई है. परिषद मांग करती है कि दोषी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर तुरंत कड़ी कानूनी कार्रवाई हो, छात्रों से वसूली गई अवैध फीस वापस की जाए, BCI मान्यता की स्थिति को सार्वजनिक किया जाए और घायल छात्रों को उचित उपचार व क्षतिपूर्ति दी जाए. ABVP हर छात्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है और जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा.
ओमप्रकाश राजभर हमेशा से अपने बयानों और कार्यों से विवादों में रहे हैं…
इस प्रकरण में मंत्री ओमप्रकाश राजभर द्वारा ABVP छात्रों को “गुंडा” कहना और उन पर हुए बर्बर पुलिसिया लाठीचार्ज को सही ठहराना लोकतंत्र की आत्मा के साथ खुला धोखा है. छात्रों का यह संवैधानिक अधिकार है कि वे अपनी शिक्षा, भविष्य और विश्वविद्यालय प्रशासन की पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाएँ. जब छात्र शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे और अपनी जायज़ माँगें रख रहे थे, तब उन्हें गुंडा कहना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की सोची-समझी साजिश है. यह बयान इस बात का प्रमाण है कि सत्ता पक्ष छात्र–हितों की रक्षा करने की बजाय विश्वविद्यालय प्रशासन के भ्रष्टाचार को बचाने में लगा हुआ है. इतिहास गवाह है कि ओमप्रकाश राजभर हमेशा से अपने बयानों और कार्यों से विवादों में रहे हैं. सत्ता के लिए बार-बार पाला बदलना, जातिवादी व भड़काऊ टिप्पणियाँ करना और ठेके–पट्टों व सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं के आरोप उनकी राजनीति से हमेशा जुड़े रहे हैं. उनकी राजनीति व्यक्तिगत स्वार्थ और अवसरवादिता पर आधारित रही है.
एक ज़िम्मेदार मंत्री से अपेक्षा होती है कि वह निष्पक्ष होकर छात्रों की समस्याओं को सुने
छात्रों के आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने पुनः वही किया—भ्रष्ट प्रशासन का बचाव और आंदोलनकारी छात्रों को अपराधी ठहराने का प्रयास किया. पुलिसिया बर्बरता को उचित ठहराना न केवल असंवेदनशीलता का प्रतीक है, बल्कि यह युवाओं के मनोबल को तोड़ने और उन्हें डराने का प्रयास भी है. एक ज़िम्मेदार मंत्री से अपेक्षा होती है कि वह निष्पक्ष होकर छात्रों की समस्याओं को सुने, विश्वविद्यालय प्रशासन को जवाबदेह ठहराए और न्याय सुनिश्चित करे. लेकिन इसके विपरीत ओमप्रकाश राजभर ने छात्रों को अपमानित कर प्रशासन की ढाल बनने का कार्य किया है. यह रवैया न केवल नैतिक दृष्टि से शर्मनाक है बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी उनकी अवसरवादी छवि और भ्रष्ट चरित्र को उजागर करता है.
इस मौके जिला सह संयोजक अभिषेक यादव, नगर मंत्री अंकित ठाकुर, हिमांशु मिश्रा, अनुराग सिंह, सचिन कुमार आदि उपस्थित रहे.