बिलासपुर (Child Marriage): छत्तीसगढ़ में मुंगेली जिले की रहने वाली एक नाबालिग ने बिलासपुर स्थित सिम्स अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया है। इस मामले की जानकारी मिलते ही कोतवाली पुलिस तत्काल अस्पताल पहुंची और जांच शुरू की।
पुलिस को यह सूचना किसी अज्ञात व्यक्ति ने दी थी कि अस्पताल में भर्ती किशोरी गर्भवती है और प्रसव पीड़ा के कारण उसे भर्ती किया गया है। कोतवाली सीएसपी, आइपीएस अधिकारी अक्षय प्रमोद सबद्रा ने बताया कि सूचना मिलने के बाद पुलिस की टीम सिम्स पहुंची और वहां नाबालिग व उसके स्वजन से पूछताछ की।
ससुराल में रह रही थी नाबालिग
पुलिस पूछताछ में यह सामने आया कि नाबालिग की शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में रह रही थी। शादी की पुष्टि के बाद पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार में ले लिया है।
मामले में शून्य में एफआइआर दर्ज करते हुए आरोपी पति के खिलाफ पाक्सो एक्ट और दुष्कर्म की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। अब यह केस मुंगेली जिले को ट्रांसफर किया जाएगा, जहां आगे की जांच स्थानीय पुलिस द्वारा की जाएगी।
पुलिस का कहना है कि नाबालिग की उम्र के दस्तावेजों व अन्य साक्ष्यों की पुष्टि के बाद मामले की गहराई से जांच की जाएगी। यदि बाल विवाह की पुष्टि होती है, तो इसमें शामिल जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
राज्य सरकार और महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बाल विवाह के खिलाफ कई जागरूकता अभियान चलाए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में यह कुप्रथा अब भी जारी है।
विशेषकर आर्थिक और सामाजिक दबावों के चलते कई परिवार आज भी अपनी बेटियों की शादी नाबालिग उम्र में ही कर देते हैं।
बाल विवाह अब भी बड़ी चुनौती
बाल विवाह से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर होती हैं। नाबालिग का शरीर गर्भधारण के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होता, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों के जीवन को खतरा होता है। कम उम्र में गर्भावस्था से प्रसव के दौरान जटिलताएं बढ़ जाती हैं और कुपोषण, रक्ताल्पता जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।
कानूनी दृष्टिकोण से भी बाल विवाह अपराध है। प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट के तहत नाबालिग से संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में आता है, चाहे शादी हुई हो या नहीं। इसके अलावा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत नाबालिग की शादी कराने वाले स्वजन और मध्यस्थों पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।