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लखनऊ SGPI अस्पताल के डॉक्टरों का कमाल, हार्मोनिक स्केलपेल के जरिए एक साल के बच्चे के होठों से निकाला ट्यूमर

लखनऊ एसजीपीजीआई अस्पताल का प्लास्टिक सर्जरी विभाग चिकित्सा में नवीनतम प्रयोगों के चलते चर्चा में है. यहां डॉक्टरों ने एक बच्चे के ट्यूमर को तोड़ने के लिए अत्याधुनिक सर्जरी से सबको चौंका दिया है. खून के गुच्छे के ट्यूमर को हार्मोनिक स्केलपेल उपकरण के जरिए निकाल दिया.

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पीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर राजीव अग्रवाल ने अपनी टीम के साथ मिलकर यह सर्जरी की है और जिसमें हार्मोनिक स्केलपेल इस्तेमाल किया गया है जो एक तरीके का सर्जिकल उपकरण है, जिसमें अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग किया जाता है.

वहीं, प्लास्टिक सर्जन और विभागाध्यक्ष डॉ राजीव अग्रवाल ने बताया, आयुष नामक बच्चे को जन्म से ही वैस्कुलर ट्यूमर था. होंठ के ऊपरी हिस्से में खून की नली में ट्यूमर का गुच्छा बना हुआ था जोकि काफी तेजी से बढ़ रहा था और बच्चे को लगातार ब्लीडिंग भी होती थी.

इस तरीके की बीमारी किसी भी बच्चे में हो सकती है. खून का गुच्छा होंठों पर छोटा भी हो सकता है और बड़ा भी हो सकता है और यह बच्चों में जन्मजात होता है. साथ ही जैसे-जैसे बच्चों की आयु बढ़ती है, वैसे-वैसे ये भी बढ़ता जाता है. ऐसे में अगर इस दौरान इस हिस्से पर कहीं चोट लग जाए तो बहुत ही ज्यादा ब्लीडिंग होती है, जो जल्दी रुकती नहीं है.

ऐसे में इसी बीमारी की समस्या से जूझ रहे मासूम आयुष को पीजीआई में भर्ती कराया. लेकिन हमारे लिए चुनौती यह थी कि अगर इस खून वाले ट्यूमर के गुच्छे को हम चाकू से काटते तो उसमें से खून का फव्वारा निकलने लगता. इसी कारण हम लोग पिछले 10 सालों से इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ट्यूमर को काटने के लिए हमारे पास इंजेक्शन के अलावा कुछ नहीं था और वहीं अगर चाकू से काटते तो खून का फव्वारा निकलने लगता था और काटने में बहुत मुश्किल होती है. इसी नाते हम लोग इसे छूने से भी बचते हैं.

डॉ राजीव ने बताया कि चुनौती को देख हम लोगों ने हार्मोनिक स्केलपेल (Harmonic Scalpel) का इस्तेमाल किया. यह एक कैची के आकार जैसा होता है. पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में खून के गुच्छे के ट्यूमर के निकलने के लिए पहली बार इस तरीके के औजार का इस्तेमाल किया गया.

पिछले 12 सालों से इंजेक्शन लगाकर ट्यूमर को सुखाने का प्रयास करते थे क्योंकि हमारे पास इस तरीके के इक्विपमेंट भी नहीं थे. लेकिन जैसे ही यह इक्विपमेंट पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग को मिला, तो हम लोगों ने तुरंत ही इस पर काम शुरू किया और घंटों लगने वाले ऑपरेशन को मात्र आधे घंटे के अंदर ही सफल तरीके से ऑपरेट करके ट्यूमर को होंठ से बाहर निकाल दिया. पीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने पहली बार इस तरीके के औजार का इस्तेमाल किया गया है.

ज्यादा जानकारी देते हुए सर्जन राजीव अग्रवाल ने बताया, हार्मोनिक स्केलपेल एक सर्जिकल उपकरण है और इसमें अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग किया जाता है. हार्मोनिक द्वारा इस विधि को अल्ट्रासिकॉन विधि कहते हैं. इस नवीनतम गैजेट का उपयोग संजय गांधी पीजीआई में किया गया है. साथ ही संभवत: राज्य में पहली बार संवहनी विकृतियों के इलाज के लिए इस तरीके के उपकरण से प्लास्टिक सर्जरी विभाग में किया गया है.

राजीव अग्रवाल ने यह भी बताया इस उपकरण से इस तरह के सर्जरी की लागत भी महंगी नहीं है. करीब 20 से 30 हजार रुपये का खर्च आता है जो कि आम आदमी के लिए बहुत सस्ता है.

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