मिर्जापुर: प्रशासन द्वारा किसानों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए तथा मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से पांच समस्याओं का तत्काल निस्तारण करने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री को संबोधित पांच सूत्री ज्ञापन दिए जाने के क्रम में जिला मुख्यालय पर यूनियन के कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है.
इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूनियन के जिला 10 धर्मदेव उपाध्याय ने अपने संबोधन में कहा कि प्रशासन द्वारा किसानों के हितों की खुली अनदेखी की जा रही है. उन्होंने किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में पूरे प्रदेश में किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है. कानपुर नगर की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि कानपुर नगर में यूनियन की महिला प्रकोष्ठ की जिला अध्यक्ष मीणा पाल के विरुद्ध थाना शिवराजपुर में उनके विपक्षी राजनरण अग्निहोत्री ने फर्जी मुकदमा लिख कर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, उसकी जांच कर कर बिना शर्त मुकदमा वापस लिया जाए.
अन्यथा यूनियन प्रदेशव्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएगा. इसी प्रकार सोनभद्र जनपद के घोरावल तहसील के ग्राम बैसवार में हो रही चकबंदी में चकबंदी अधिकारियों द्वारा की गई घर अनियमित के विरोध में सैकड़ो दिन से चल रहे शांतिपूर्ण धरना के बावजूद अभी तक निष्ठुर जिला प्रशासन द्वारा किसान हित में कोई कदम नहीं उठाया गया है. इसकी घोर निंदा की गई. इसी प्रकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत 20% विकसित जमीन का उपयोग व लाभ प्रभावित परिवार को दिए जाने की मांग की गई.
वक्ताओं ने कहा कि गौतम बुद्ध नगर के नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण के गांवों में घरौली बनवा जाए एवं यमुना एक्सप्रेस-वे के किसानों को आवासी प्लांट दिलाया जाए और आबादियों का निस्तारण कराया जाए. सभी किसानों को 10% आवासीय प्लाट दिलाया जाए, सभी किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा दिलाए जाए. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के कार्यकर्ताओं पदाधिकारी ने धरना-प्रदर्शन सभा के पश्चात जिला प्रशासन को 5 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा.
साथ ही निस्तारण की मांग करते हुए चेतावनी दिया है कि यदि किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ तो वह प्रदेशव्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी. इस दौरान बजरंगी कुशवाहा, राजेंद्र प्रसाद शास्त्री, अखिलेश त्रिपाठी, शांति देवी, सावित्री देवी, कौशल्या देवी, सुमन प्रजापति, रमेश सिंह, श्रवण कुमार सिंह, विवेकानंद सिंह, राधेश्याम सहित तमाम किसान नेता मौजूद रहे.