Mirzapur: आरोपित शिक्षक को बचाने में जुटा विभाग, जांच पर उठ रहे सवाल

Uttar Pradesh: मीरजापुर जिले के बेसिक शिक्षा विभाग की नीतियां निराली है, यहां जांच की आंच की जद में आए व्यक्ति को सजा (कार्रवाई) नहीं बल्कि उसे पुचकारते हुए जांच को प्रभावित करने की पूरी खूली छूट दी जाती है.

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कुछ ऐसा ही मामला जिले के नरायनपुर विकास खंड क्षेत्र के शिवशंकरी धाम स्थित बेसिक शिक्षा परिषद के ब्लाक संसाधन केंद्र पर आधार कार्ड बनाने के लिए निर्धारित शुल्क से अधिक रुपए वसूलने और कंपोजिट विद्यालय कंदवा के मरम्मत के लिए दिए गए सरकारी धन के घोटाले के आरोपित शिक्षक की उसी विद्यालय पर दोबारा तैनाती कर दी गई. इसको लेकर जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं तो वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जांच को प्रभावित किए जाने का कुचक्र रचा जा रहा है.

इस संबंध में शिकायत करने वाली शिक्षिकाओं ने बीएसए अनिल कुमार वर्मा की कार्रवाई पर उंगली उठाई है. शिक्षिकाओं कहना है जिस विद्यालय की मरम्मत में घोटाले का आरोप है उसी आरोपित शिक्षक के कंपोजिट विद्यालय कंदवा पर रहते मामले की निष्पक्ष जांच संभव कैसे हो सकती है?

गौरतलब हो कि बीएसए अनिल कुमार वर्मा ने बीते 04 मार्च 2025 को आधार कार्ड बनाने के लिए निर्धारित शुल्क 50 रुपये की बजाय सौ से दो सौ रुपए अभिभावकों से वसूलने के आरोप में कंपोजिट विद्यालय कंदवा, नारायनपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरज सिंह को एक शिक्षिका की शिकायत पर बीआरसी कार्यालय शिवशंकरीधाम से हटा दिए थे. बीएसए ने धीरज सिंह को कंपोजिट विद्यालय कंदवा के प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर वापस भेज दिया था, जबकि आरोप है कि एक वर्ष पूर्व विद्यालय के मरम्मत के लिए दिए गए 50 हजार रुपए का भुगतान धीरज सिंह ने अपनी पत्नी के बैंक खाते में कर दिया था. शिकायतकर्ताओं ने बीएसए की कार्रवाई पर संदेह जताया है. कहा है कि धीरज को कंदवा से हटा कर बीएसए कार्यालय अटैच किया जाए. तभी मामले की जांच हो पाएगी.

सोशल मीडिया पर शुरू किया विधवा विलाप

मजे की बात है कि बीएसए की इस कार्रवाई से प्रभारी प्रधानाध्यापक के हौसले पर जरा भी असर नहीं पड़ा है वह मीडिया से सामना होने पर अपना पक्ष रखने के बजाए बीएसए और जिले के एक विधायक से बात कराने की सिफारिश करते हुए नज़र आए थे. पत्नी के नाम चेक काटने के मसलें पर अब वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनों को बेदाग बताते हुए बड़े ही साफगोई से स्वीकार कर रहे हैं कि “उनपर जो आरोप लगाया गया है कि उनकी पत्नी के नाम से चेक कटा है, तो यह सत्य है. चेक मैंने अपने पत्नी के नाम काटा है, मैं विद्यालय बनवा रहा था, मैं एडवांस काम करने वालों को पैसा दे चुका था उस पैसा को मैं अपने ही खाते में ही लूँगा या फिर से उसी को दे दूँगा? जिसको दे चुका हूँ इसलिए अपना पैसा लेने के लिए अपने खाते में लिया है.” प्रभारी प्रधानाध्यापक के इस कथन को लेकर जहां खूब तीखी चर्चा हो रही हैं तो वहीं इनके इस कथन पर लोग सवाल दाग रहे हैं कि यह किसके आदेश पर उन्होंने किया. दूसरे ऐसा क्या खास वज़ह रहा है कि उन्होंने एडवांस पैसा देकर काम कराया और फिर सरकारी धन को अपनी पत्नी के खाते में भजा लिया.

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