उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में किसानों की जमीन भूमि विकास एवं गृह स्थान परियोजना के लिए जबरदस्ती लिये जाने की प्रक्रिया को बन्द किए जाने की मांग को लेकर
किसानों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करते हुए विरोध में आवाज बुलंद की है.
जनपद के ग्राम धौरुपुर, राजपुर व भरूहना, परगना कंतित, तहसील सदर के किसानों की जमीन भूमि विकास एवं गृह स्थान परियोजना हेतु जबरदस्ती लिये जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है जिसे बन्द किये जाने की मांग होने लगी है. शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुषों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया है.
इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि जिले के ग्राम धौरुपुर, राजपुर व भरूहना, परगना कंतित, तहसील सदर के किसानों की जमीन भूमि विकास एवं गृह स्थान परियोजना के लिए आवास विकास प्राधिकरण के द्वारा अधिग्रहण किया जा रहा है. इसी के संदर्भ में 2004 में किसानों को नोटिस दिया गया था, जिसके परिप्रेक्ष में जनपद के अधिकारियों, विकास प्राधिकरण और किसानों के बीच वार्ता हुई थी. जिसमें किसानों ने जमीन देने से इनकार कर दिया था. उसके 10 साल बाद पुनः 2013 में किसानों और विकास प्राधिकरण तथा अधिकारियों के समक्ष बैठक हुई. जिसमें एक बार फिर किसानों ने जमीन देने से एक स्वर में इनकार कर दिया था, क्योंकि उसी जमीन से उनका जीवकोपार्जन चलता है. वहां छोटे-छोटे रकबा के किसान है.
इसके पश्चात 2024 में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी वाराणसी द्वारा मुआवजे के संदर्भ में किसानों को नोटिस दिया गया है. जिसको लेकर किसान काफी परेशान और दुःखी हैं. लगभग 20 वर्ष बीतने के बाद एक बार फिर से मुआवजे की प्रक्रिया के तहत जबरदस्ती किसानों को नोटिस दिया जा रहा है जो सरासर गलत है. किसानों ने आरोप लगाया है कि उक्त मौजे में काफी जमीनों पर रिहायशी मकान बन चुके हैं, शेष भूमि पर किसान अपना खेती-बाड़ी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं. उसके पास और कोई भी जीविकोपार्जन के संसाधन नहीं है. ऐसी स्थिति में किसानों के मर्जी के खिलाफ भूमि अधिग्रहण करना किसानों के साथ न्याय संगत नहीं होगा.
किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया है कि, उक्त ग्रामों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को किसान हित में निरस्त किया जाए,ताकि किसान उजड़ने से बच सकें. इस दौरान जुटे किसानों ने एक स्वर में बोला कि, यदि ज़मीन जबरियां लेने के लिए ज़ोर जबरदस्ती किया तो किसान उग्र धरना प्रदर्शन करने के लिए विवश होंगे.