मिर्ज़ापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक पूर्व मंत्री एवं मौजूदा विधायक के रिश्तेदार को लेकर शिक्षा वालें विभाग में आक्रोश गहराता जा रहा है। कहने को तो विधायक के रिश्तेदार संविदाकर्मी हैं, लेकिन ठाठ-बाट से लेकर उनके रसूख के आगे बीएसए भी कमजोर पड़ जाते हैं. मामला शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत दाखिला का हो या अन्य मामलों का सभी में दख़ल संविदाकर्मी बाबू नीरज सिंह की ही चलती है। बहरहाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इण्डिया (आठवले) ने बेसिक शिक्षा विभाग के संविदाकर्मी बाबू नीरज सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए भ्रष्टाचार मनमानी का खुला आरोप लगाते हुए अब सीधे मुख्यमंत्री दरबार में पहुंच सम्पूर्ण मामले से मुख्यमंत्री को अवगत कराने का ऐलान कर दिया है.
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इण्डिया (आठवले) के जिलाध्यक्ष सुनील सोनकर ‘टक्कर’ ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को भेजें गये पत्र में मिर्जापुर बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अनुसूचित जाति के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा की घोर लापरवाही के चलते वह संविदाकर्मी बाबू नीरज सिंह जो पूर्व मंत्री व मड़िहान भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह पटेल के रिश्तेदार हैं, कि मनमानी और अवैध धनउगाही सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है वही बेसिक शिक्षा विभाग की नीतियों पर गलत असर पड़ रहा है। उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि शिकायत करने पर कार्रवाई तो दूर शिकायती पत्रों का जवाब भी देना मुनासिब नहीं समझा जाता है। उन्होंने बताया है कि अनुसूचित जाति के दो बच्चों का लॉटरी के तहत चयन होने के बाद भी उनका प्रवेश नहीं कराया जा रहा है। इसी प्रकार तमाम अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। बताते चलें की बेसिक शिक्षा विभाग मिर्जापुर में व्याप्त भ्रष्टाचार व धनउगाई के चलते गरीब बच्चों का जहां भविष्य अधर में लटका है, वहीं सरकार के मंसा पर पानी भी फिर जा रहा है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इण्डिया (आठवले) के जिलाध्यक्ष सुनील सोनकर ‘टक्कर’ ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को भेजे गए अपने पत्र के माध्यम से मुक्त संपूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष जांच करते हुए भ्रष्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी व संविदाकर्मी बाबू नीरज सिंह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इनकी जांच कराने की मांग की है.
मिर्जापुर में शिक्षा विभाग का है गजब लोचा
मिर्जापुर जिले में पिछले दिनों बीएसए ने 44 स्कूलों की जांच करायी थी जिनमें 3 स्कूल में एनसीईआरटी की किताबें पठन-पाठन में पाई गई थीं, वहीं 44 में मात्र एक स्कूल में शासन के निर्देश के अनुसार प्रशिक्षित शिक्षक कार्य करते मिले थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह कार्रवाई पहले क्यों नहीं की गई? क्या बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी और कुंभकर्णीय निद्रा में सो रहे थे?
बीएसए का नहीं उठता सीयूजी नंबर
प्रदेश सरकार ने सरकारी मुलाजिमों से सम्पर्क करने और समस्याओं के समाधान के लिए सीयूजी नंबर प्रदान किया है ताकि अधिकारियों से आमजनों का सीधा संवाद हो सके। लेकिन कुछ अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है उन्हें आमजनों से नहीं कुछ विशेष और खास लोगों से गहरा लगाव होता है। मिर्जापुर जिले के बीएसए भी हठधर्मिता पालें हुए हैं जिनका सीयूजी नंबर उठता ही नहीं है ना ही वह बैक कॉल करना मुनासिब समझते हैं.
आलम यह है कि बीएसए मिर्जापुर की तानाशाही जहां बढ़ती जा रही है तो वहीं, समस्याओं के समाधान हेतु पहुंचे लोगों से उनकी मुलाकात नहीं होती और ना ही उनका फोन उठता है। मज़े की बात है कि आरटीई के तहत विभिन्न विद्यालयों में प्रविष्ट बच्चों का अनुदान वर्ष 2019 से बाकी, किंतु अज्ञात प्रक्रिया के तहत वर्ष 2024- 25 का मात्र 1 वर्ष का अनुदान छात्रों के खातों में भेजा गया। किंतु वर्ष 2019 से 2024 तक के अनुदान का क्या होगा, इस बारे में कोई बताने को तैयार नहीं, कहीं बेसिक शिक्षा विभाग लीपापोती में तो नहीं ऐसी आशंका जताते हुए शासन से इसकी जांच कर कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है।
नीरज-धीरज की जोड़ी पर मेहरबान महकमा
मिर्जापुर जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों दो नाम काफी सुर्खियों और चर्चाओं में बने हुए हैं. यह नाम कोई और नहीं बल्कि नीरज और धीरज की जोड़ी है। जिसमें से एक का ताल्लुकात बेसिक शिक्षा कार्यालय से है तो दूसरे का ताल्लुकात नारायनपुर के कंपोजिट विद्यालय कंदवा से है, और दोनों ही विवादों से घिरे होने के साथ-साथ शिकायतों की घेरे में है. जिन पर बेसिक शिक्षा विभाग के ‘साहब’ की कृपा तो बरस ही रही है, कहां तो यहां तक जा रहा है कि एक पूर्व मंत्री और विधायक की भी कृपया भी इन पर जबरदस्त बनी हुई है.
कहा जा रहा है कि, नीरज और धीरज की जोड़ी बेसिक शिक्षा विभाग की जड़ों को खोखला करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार करने में लगी हुई है. कंपोजिट विद्यालय कंदवा के प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरज सिंह को पिछले महीने नारायणपुर बीआरसी से आधार कार्ड बनाने के नाम पर धनउगाई की बढ़ती शिकायतों के बाद हटाया जा चुका है. उन पर विद्यालय मरम्मत इत्यादि के नाम पर सरकारी धन को पत्नी के खाते में भेजे जाने का भी आरोप है जिनके खिलाफ मिल रही शिकायतों पर जिलाधिकारी द्वारा टीम गठित कर जांच कराई जा रही है तो वहीं नीरज सिंह बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में संविदाकर्मी बाबू हैं, जो कहने को तो संविदाकर्मी हैं लेकिन उनके रसूख और जलवें देखते बनते हैं.