मिर्ज़ापुर: जिले के राजगढ़ थाना क्षेत्र के भावां गांव में एक झोला छाप डॉक्टर के इलाज से एक वर्षीय एक बालिका की मौत हो गई, घर वालों ने डॉक्टर पर लापरवाही करने का आरोप लगाते हुए राजगढ़ थाने में तहरीर दी है.
मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची के शव का पोस्टमार्टम कराने को कहा जिस पर परिवार के लोग राजी नहीं हुए बाद में परिजनों ने पुलिस को सहमति पत्र देकर उसका संस्कार कर दिया.
राजगढ़ थाना क्षेत्र के भावां गांव निवासी त्रिपुरारी विश्वकर्मा की एक वर्षीय पुत्री लक्ष्मी एक सप्ताह से बीमार चल रही थी, परिवार के लोग इधर-उधर इलाज करा रहे थे शनिवार की रात्रि उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई तो उसे लेकर परिवार के लोग भावां बाजार स्थित एक अस्पताल में गए, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
बच्ची के पिता त्रिपुरारी लाल ने बताया कि, शनिवार रात्रि बच्ची की तबीयत खराब हो गई तो बच्चों का इलाज करने वाले भावां बाजार में एक डॉक्टर के यहां ले गए। जहां उन्होंने बच्ची को इंजेक्शन लगाया और कहा कि घर ले जाओ ठीक हो जाएगी। मगर उसकी तबीयत बिगड़ती गई और रात्रि में ही बच्ची की मौत हो गई। परिवार के लोगों ने कहा कि डॉक्टर को जानकारी नहीं थी और उसने गलत इलाज किया जिसके कारण बच्चों की मृत्यु हो गई.
इस संबंध में थाना अध्यक्ष महेंद्र पटेल ने बताया कि एक व्यक्ति डॉक्टर द्वारा इलाज में लापरवाही की शिकायत पुलिस में किया था पुलिस मौके पर पहुंची और परिवार के लोगों से पोस्टमार्टम के लिए कहा तो वह तैयार नहीं हुए बाद में सहमति पत्र के आधार पर परिवार वालों ने बच्ची के शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
क्यों नहीं हो रही है झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई किसके सह पर चलाते हैं क्लीनिक
बताते चलें कि, जिले में बड़ी संख्या में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा बिना डिग्री के प्रसव से लेकर बड़े-बड़े ऑपरेशन और गर्भस्थ शिशु से लेकर 3 साल 2 साल के बच्चों का गारंटी के साथ इलाज करने का दावा किया जा रहा है और कर भी रहे हैं। जिसमें से 25 प्रतिशत शिशुओं की इनके इलाज से मौत हो जा रही है फिर भी इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार इनके ऊपर किसका हाथ है? जो खुलेआम बिना डिग्री के बड़े-बड़े दावे के साथ यह इलाज कर रहे हैं और गरीब जनता उनके शोषण का शिकार हो रही है.
राजगढ़ क्षेत्र के पटेल नगर, ददरा, ब्लॉक, इमलिया 84 बघौड़ा, भावा बाजार, कलवारी, जमुई, सरसों, ग्राम जौगढ़ आदि जगहों पर झोलाछाप डॉक्टर बड़े-बड़े दावे के साथ इलाज कर रहे हैं.
वहीं क्षेत्र में आए दिन प्राइवेट अस्पताल संचालकों एवं मरीज के साथ आए परिवार वालों से पैसे के चक्कर में झगड़ा हो रहे हैं और तो और पैसे न देने पर उनके साथ बुरा सलूक किया जा रहा है। शिकायत करने पर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी चुप्पी साध ले रहे हैं जिसके कारण मरीजों का शोषण चरम पर है। गौरतलब हो कि, सितंबर-अक्टूबर के महीने में राजगढ़ क्षेत्र में डायरिया का प्रकोप हुआ था जिसमें कई मरीज मौत के घाट चलें गए थे। इससे झोलाछाप डॉक्टर द्वारा लापरवाही बरतने जाने का मामला सामने आया था। क्षेत्रीय जनता ने जब खूब हो हल्ला मचाया तो जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाया और एक दो अस्पतालों को नोटिस देने के बाद अपने हाथ खड़े कर लिए जिसका नतीजा यह हुआ की क्षेत्र में अवैध पैथोलॉजी एवं निजी अस्पताल धड़ल्ले से पुनः चलने लगे.
पूर्व में भी हो चुकी है मौतें
शनिवार को झोलाछाप डॉक्टर की इलाज से एक बालिका की मौत हो गयी 2 महीने पहले पटेल नगर शाहगंज रोड और राजगढ़ में भी बच्चों के इलाज के नाम पर मरीज को बुलाकर इलाज किया गया और वहां भी मरीज की मौत हो गई थी। परिजन चिल्लाते रह गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इस संबंध में राजगढ़ स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर पवन कश्यप ने बताया कि, हम लोग झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे, लेकिन ऊपर वालों ने हम लोगों को रोक दिया, लेकिन कल से फिर कार्रवाई शुरू होगी और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी जिससे मरीज का शोषण ना हो.