मिर्ज़ापुर: हलिया विकासखंड में जिम्मेदार नहीं, ‘गैर’ संभाल रहे गांव की ‘प्रधानी’, नए घोटाले की आशंका!

मिर्ज़ापुर: लगभग डेढ़ दशक पहले उत्तर प्रदेश में मनरेगा घोटाले के मामले में मिर्ज़ापुर का नाम भी शामिल था। उस समय हलिया विकासखंड सीबीआई जांच के दायरे में आया था। तत्कालीन खंड विकास अधिकारी, कई ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक और अवर अभियंता समेत कई लोगों के खिलाफ शिकायतें दर्ज कर मामले की जांच की गई थी, जो अब भी न्यायालय में लंबित है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े घोटाले के बावजूद भी हलिया विकासखंड में भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी है।

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हलिया विकासखंड के कई गांवों में ग्राम पंचायत की कमान गैर-अधिकृत व्यक्तियों के हाथों में है, जो बिना किसी भय या हिचक के खुलेआम अपने आप को ग्राम प्रधान बताकर विकास कार्यों और पंचायत के अन्य मामलों को चला रहे हैं। ब्लॉक मुख्यालय की बैठकों से लेकर गांव की छोटी-बड़ी सभाओं और विभिन्न कार्यक्रमों में ये लोग प्रभावशाली तरीके से अपने आपको ग्राम प्रधान के रूप में पेश करते हैं।

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ताजा मामला मनिगढ़ा गांव का है, जहां ग्राम प्रधान महिला पिछड़ी जाति की हैं, लेकिन ग्राम पंचायत का वास्तविक नियंत्रण ऊंची जाति के तिवारी परिवार के एक व्यक्ति के पास है। ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि विकास कार्यों में भारी अनियमितताएं और लूट-खसोट हुई है। विकास कार्य धरातल पर न होकर केवल कागजों में ही लाखों रुपए का भुगतान किया गया है। मंदिर, मस्जिद और कुएं जैसे सामुदायिक संसाधनों के नाम पर भी धन का दुरुपयोग किया गया है। ग्राम प्रधान महिला इस भ्रष्टाचार से पूरी तरह अनजान और अपने निजी कार्यों में व्यस्त नजर आती हैं।

यदि हलिया विकासखंड के विकास कार्यों की गहराई से जांच की जाए, तो यह मनरेगा घोटाले से भी बड़ा और संगीन मामला सामने आ सकता है। मनिगढ़ा गांव की ग्राम प्रधान महिला भले ही पद पर हों, लेकिन पंचायत का सारा काम एक गैर अधिकृत पुरुष ही चला रहा है। ग्रामीण धीरे-धीरे इस स्थिति के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं और उच्च अधिकारियों से शिकायत कर जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

हाल ही में मोहर्रम पर्व के अवसर पर गांव के अखाड़े में उसी गैर प्रधान की आवाज़ सुनाई दी, जो खुद को ग्राम प्रधान बताकर ताजिया चौक पर लोगों को संबोधित कर झूठे विकास कार्यों का दावा कर रहा था। यहां तक कि उनके नाम पर ग्राम प्रधान के पद से सम्मानित करने और पांच सौ रुपए पुरस्कार देने की घोषणा भी की गई।

गौरतलब है कि मिर्ज़ापुर के हलिया विकासखंड में वित्तीय वर्ष 2007-2010 के दौरान मनरेगा घोटाला हुआ था, जिसमें सीबीआई ने कुल 54 आरोपितों जिनमें तत्कालीन बीडीओ, ग्राम प्रधान, अवर अभियंता, रोजगार सेवक शामिल थे, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बावजूद इसके, आज भी इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार के जड़े खत्म नहीं हुई हैं और गैर अधिकृत लोग ग्राम पंचायत के मामलों में दखल दे रहे हैं।

 

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