मिर्जापुर: विंध्याचल धाम आने से आर्थिक संकट होता है दूर… ज्ञान और विकारों से मिलती है मुक्ति

मिर्जापुर: शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया है. देशभर की देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. मिर्जापुर के विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में भी मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का लंबी-लंबी लाइनों में लगकर दर्शन पूजन कर रहे हैं. नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन पूजन कर रहे हैं. विंध्याचल धाम का अपना एक अलग ही महात्म है. इच्छा क्रिया और ज्ञान सिर्फ विंध्याचल में ही प्राप्त होता है. यह जो भी आता है विशेष हो जाता है. गंगा आई वह भी विशेष हो गई इकलौता स्थान है जहां गंगा विंध्य पर्वत के ऊपर बह रही है.

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में स्थित है विश्व प्रशिद्ध माँ विंध्यवासनी का मंदिर. वैसे तो यहां पर हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने आते हैं, मगर नवरात्र में इसकी संख्या बढ़कर लाखों में हो जाती है. शारदीय नवरात्र में आज सुबह से ही देश भर के देवी मंदिरों में जहां भीड़ लगा हुआ है. वही विंध्याचल धाम स्थित मां विंध्यवासिनी के मंदिर में भी दर्शन के लिए भी आधी रात से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था. मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु लंबी-लंबी लाइनों में लगकर हाथों में नारियल चुनरी लेकर मां विंध्यवासिनी का का जयकारा लगाते हुए एक झलक पाकर निहाल हो रहे हैं. कोई मंदिर को छात्रों की लाइट और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है.

नवरात्र में देश भर से लाखो भक्त माँ के दर्शन पूजन करने आते हैं… 

इस बार नवरात्र 10 दिनों तक है. विंध्याचल सिद्धि पीठ है यहाँ पर नवरात्र में माँ के दर्शन मात्र से ही सभी कष्टो से मुक्ति मिलती है माँ से मागने पर सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन पूजन कर रहे हैं. 10 दिनों तक लगने वाले इस नवरात्र में देश भर से लाखो भक्त माँ के दर्शन पूजन करने आते है और नवरात्र तक इस विंध्य क्षेत्र में कुछ भक्त निवास भी करते है .नवरात्र में माँ का दर्शन करने का अपना अलग ही महात्म है.

धर्माचार्य मिट्ठू मिश्रा कहते है यहाँ कि महिमा अपरमपार है जो भी भक्त एक बार नवरात्र में माँ का दर्शन कर ले उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. मां विंध्यवासिनी के साथ ही मां काली मां अष्टभुजा का भी त्रिकोण परिक्रमा कर दर्शन कर लेते हैं तो यात्रा पूरी मानी जाती है. नवरात्रि में भक्त यहां आकर नौ रूपों का शक्ति प्रदान करते हैं जैसे बिना बिंदू के सृष्टि का सृजन नहीं होता वैसे ही मां विंध्यवासिनी के बिना सृष्टि की परिकल्पना नहीं की जा सकती है.त्रिकोण दर्शन करने से असंतुलित मानव को संतुलित पैदा कर देता है. इच्छा क्रिया ज्ञान की त्रिकोण है, त्रिकोण दर्शन करने से भक्त इच्छा क्रिया ज्ञान को प्रदान करते है.इच्छा क्रिया ज्ञान सिर्फ विंध्याचल में हैं.

भगवती के पूजन अर्चन में बीज मंत्र अधिक से अधिक जप करने से त्रिशक्ति पूजन अर्चना हो जाती है. त्रिकोण परिक्रमा करने से एक दुर्गा सप्तशती का फल प्राप्त हो जाता है, नौचंडी का पाठ करना चाहिए.मां विंध्यवासिनी देवी को 9 नारियल चढ़ाने से आर्थिक संकट दूर होता है, जिन्हें आवास की प्राप्ति करना है वह अष्टभुजा के पहाड़ी पर मां अष्ठभुजा का दर्शन करने के बाद पहाड़ पर पड़े पत्थर को जोड़कर घर बनाकर चले जाते हैं उन्हें आवास की प्राप्ति होती है.

मां अष्ठभुजा को 9 गोड़हल का फूल चढ़ाने से ज्ञान की वृद्धि होती है और जो कंपटीशन की तैयारी कर रहे-छात्र है वह मोर के पंख को अर्पित करने के बाद अपने बुक में रख ले तो उन्हें प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलती है.

विंध्याचल में आकर भक्त असंतुलित जीवन को संतुलित बना सकता है…

कुछ लोग बीकार से ग्रसित हैं महाकाली के पास जाना चाहिए तंत्र पूजा के माध्यम से मां खिचरी मुद्रा वाली काली मां पूजा की जाती है वह विकार मुक्त कर देती हैं, मां विंध्यवासिनी आर्थिक संकट को दूर करती हैं मां काली विकारों से मुक्त करती हैं, मां अष्ठभुजा हमें ज्ञान देती हैं. विंध्याचल में आकर भक्त असंतुलित जीवन को संतुलित बना सकता है. यहां जो आता विशेष हो जाता है गंगा आई वह भी विशेष हो गई इकलौता स्थान है जहां गंगा भी विंध्य पर्वत के ऊपर से बह रही है.

विंध्याचल धाम में नवरात्र मेले को लेकर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तीन सुपर जोन, 10 जोन और 21 सेक्टर में विभाजित किया गया है. भारी संख्या में अधिकारी और पुलिस बल लगाई गई है.सीसीटीवी और सिविल ड्रेस में निगरानी की जा रही है. गंगा घाट पर बैरिकेडिंग की गई है इसके साथ ही फ्लड पीएसी की भी ड्यूटी लगाई गई है. पूरे मेले को जिला अधिकारी पवन कुमार गंगवार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा संभाल रहे हैं. पूरे नवरात्र तक मां विंध्यवासिनी के चरण स्पर्श पर रोक लगा दिया गया है कोई भी श्रद्धालु चरण स्पर्श नहीं कर पाएगा.

समय सारिणी- 

शारदीय नवरात्र मेले में आने वाले भीड़ को देखते हुए मां विंध्यवासिनी की आरती के समय को बदल दिया गया है. यह व्यवस्था नवरात्र पहले दिन से ही शुरु हो गया है. समय सारिणी के अनुसार में भोर में होने वाली मंगला आरती 3:00 बजे से 4:00 बजे तक होगी.पहले यह आरती सुबह 4:00 से पांच बजे होता था. वहीं दोपहर में राजश्री आरती 12:00 बजे से 1:00 बजे तक होगी और शाम की संध्या आरती सात बजे तक 8:00 के बीच होगी. बड़ी आरती रात्र 9:30 बजे से 10:30 तक की जाएगी.जबकि अन्य दिनों में मां विंध्यवासिनी के दोपहर में राजश्री आरती 12:00 से 1:30, शाम की संध्या आरती शाम 7:15 से 8:15 और बड़ी आरती रात 9:30 से 10:30 बजे तक होती थी.साथ ही नवरात्र में दोपहर एवं रात्रि में मां का शयन नवरात्र मेले के दौरान नहीं लगेंगे. मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं को 24 घंटे दर्शन मिलेगा.

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