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कर्नाटक में MLA पाटिल ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, कहा- वक्फ संपत्ति का राष्ट्रीयकरण हो

कर्नाटक में वक्फ भूमि विवाद को लेकर कई जगहों पर तनावपूर्ण स्थिति बन गई है. कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक बसनगौड़ा पाटिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वक्फ से जुड़े मसले पर पत्र लिखकर कहा कि वक्फ संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए. वक्फ बोर्ड लंबे समय से चले आ रहे धार्मिक संस्थाओं पर अतिक्रमण करते जा रहे हैं.

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पाटिल ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, “मैं विनम्रतापूर्वक आपके ऑफिस (PMO) से यह अनुरोध करता हूं कि निष्पक्ष प्रशासन और भविष्य में अन्याय को रोकने के लिए वक्फ संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करने पर विचार किया जाए. मौजूदा कानूनों द्वारा सशक्त वक्फ बोर्ड कथित तौर पर व्यक्तियों, किसानों और लंबे समय से चली आ रहे धार्मिक संस्थाओं, जो वक्फ से संबंधित भी नहीं हैं, के स्वामित्व वाली संपत्तियों पर अतिक्रमण कर रहे हैं.”

हावेरी में तनावपूर्ण स्थिति

यह पत्र ऐसे समय लिखा गया है जब कर्नाटक के हावेरी जिले के कडकोल गांव में पिछले बुधवार की देर रात कथित तौर पर वक्फ संपत्ति को वापस लेने को लेकर प्रशासनिक आदेश जारी किया गया. इस आदेश के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई दावा किया जा रहा है कि उक्त संपत्ति पर वहां के कई लोगों का कब्जा है.

सूत्रों ने कल गुरुवार को बताया कि बड़ी संख्या में लोगों ने एकजुट होकर कुछ व्यक्तियों पर पथराव किया और उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी संपत्तियों को वक्फ के नाम पर रजिस्टर्ड कराने में मदद की. इस दौरान कुछ लोग घायल हो गए जिनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि इससे पहले वक्फ एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान ने 3 सितंबर को एक बैठक की थी, जिसमें हावेरी जिले के अधिकारियों को कथित तौर पर अतिक्रमित वक्फ भूमि को मुक्त कराने के निर्देश दिए गए थे. फिर अधिकारियों ने 7 सितंबर को एक आदेश जारी किया, जिस पर यहां के सावन्नूर तालुका के कडकोल के ग्रामीण भड़क गए और हिंसक हो गए.

धारवाड़ में हिंदुओं की संपत्ति वक्फ के पास

इसी तरह धारवाड़ जिले में कई हिंदू किसानों की भूमि के दस्तावेजों में वक्फ नाम दर्ज होने को लेकर तीखी बहस चल रही है. अब एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है कि जिले में कई मुस्लिम किसानों की संपत्ति के रिकॉर्ड में वक्फ नाम दर्ज है. ऐसे भी आरोप लगे हैं कि हिंदुओं की जमीन वक्फ के पास चली गई है.

जानकारी के मुताबिक धारवाड़ के नवलगुंडा के 20 से ज्यादा मुस्लिम किसानों की संपत्ति वक्फ संपत्ति के तौर पर पाहानी में दर्ज है. इसको लेकर मुस्लिम किसानों ने अपनी नाराजगी जाहिर की. बटरहल्ला के पड़ोसी किसानों की जमीन पाहानी में वक्फ के नाम दर्ज है. यह जमीन करीब 40 एकड़ है.

पहानी में वक्फ का नाम शामिल

यह जमीन कई दशक पहले खरीदी गई थी. साल 2018 से चरणबद्ध तरीके से किसानों की पहानी में वक्फ का नाम दर्ज किया जा रहा है. यहां तक ​​कि जब कोर्ट में केस होता है, तब भी पहानी में वक्फ का नाम दर्ज किया जाता है. हुनगुंडा परिवार की जमीन का मामला कोर्ट में चल रहा था. भाई-बहनों के बीच जमीन का विवाद था. हालांकि, इसी मौके पर नियमों के बाहर वक्फ नाम दर्ज किया गया. यह आरोप है कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया.

केस होने के बाद मालिक पहानी देखकर चौंक गए. तब वक्फ का नाम सामने आया था. अब धारवाड़ जिले के किसानों ने वक्फ के खिलाफ कानूनी जंग शुरू कर दी है. तहसीलदार को इस संबंध में एक निवेदन पहले ही सौंप दिया गया है. अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो उन्होंने कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है.

वक्फ के नाम चिक्कादेवी मंदिर

ऐसा ही एक मामला दक्षिण कर्नाटक में भी है. दिवाली के दिन गुरुवार को खबर आई कि मुसलमानों ने मंड्या के नागमंगला तालुक के बेल्लूर में एक निश्चित जमीन को अपने नाम पर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया. लेकिन यहां भी मामला बिगड़ गया. अब पता चला है कि मांड्या जिले के श्रीरंगपटना तालुक के महादेवपुर में श्री चिक्कम्मा चिक्कादेवी मंदिर की पहानी भी वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है. इससे गांव वाले चिंतित हैं.

जब पूरे राज्य में वक्फ का मुद्दा चर्चा में है, उस समय मंदिर की संपत्ति का रिकॉर्ड देखकर गांव वाले हैरान रह गए. इस वजह से उन्होंने जिला प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली है. पिछले कई सालों से चिक्कम्मा चिक्कादेवी मंदिर का नाम पहानी में आ रहा था. गांव के लोगों द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी चिक्कादेवी को पूजा-पाठ किया जा रहा है.

मौसी चिक्कादेवी के नाम पर थी जमीन

मंदिर का निर्माण कई दशक पहले गांव वालों की मदद से हुआ था. गांव वालों का कहना है कि जमीन का रिकॉर्ड भी मौसी चिक्कादेवी के नाम पर था. हालांकि, एक साल पहले अचानक इसे ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में दर्ज कर दिया गया. सर्वे नंबर 74 में मंदिर और मंदिर से जुड़ी 6 एकड़ जमीन को वक्फ संपत्ति में दर्ज कर दिया गया है.

आरटीसी और भूमि रिकॉर्ड देखने के बाद ग्रामीण चिंतित हैं कि मंदिर वक्फ के पास चला गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि उप-विभागीय अधिकारी के निर्देश पर इसे वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य नहीं है. ग्रामीणों ने मंदिर के नाम की संपत्ति को वक्फ में जोड़ने के लिए कोई पत्र भी नहीं लिखा था. लेकिन ग्रामीणों को बताए बगैर ही इसे वक्फ संपत्ति के रूप में कैसे दर्ज किया गया? उन्होंने कहा कि इसके पीछे कई संदेह हैं.

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