राज्य वृक्ष खेजड़ी की अवैध कटाई और जलाए जाने की घटनाओं पर भड़के विधायक रविन्द्र सिंह भाटी, राख पर रात गुजारी…धरना जारी

बाड़मेर: राजस्थान की धरती पर सदियों से पर्यावरण रक्षक के रूप में प्रतिष्ठित राज्य वृक्ष खेजड़ी की अवैध कटाई और फिर उसे जलाने जैसे अपराधपूर्ण कृत्य के विरुद्ध शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने ज़मीनी स्तर पर संघर्ष का मोर्चा संभालते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पर्यावरणीय आस्थाओं और ग्रामीण जनभावनाओं के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

बीते रविवार को खेजड़ी वृक्षों की अवैध कटाई और उसके पश्चात् रात के अंधेरे में उन्हें जलाने की सूचना सामने आने के बाद विधायक भाटी स्वयं बरियाड़ा-खुड़ाल पहुंचे और समस्त ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए. उनकी अगुवाई में शुरू हुआ यह आंदोलन अब न केवल एक पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक बन गया है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

विधायक ने राख पर चारपाई डाल बिताई रात, सुबह खुदाई कर निकाले दर्जनों खेजड़ी वृक्षों के अवशेष. रविवार की रात विधायक भाटी ने धरना स्थल पर खेजड़ी की जल चुकी राख के ऊपर ही चारपाई बिछाकर रात बिताई यह प्रतीकात्मक और व्यावहारिक दोनों ही दृष्टिकोणों से एक गहन संदेश था कि यह आंदोलन सिर्फ औपचारिक विरोध नहीं, बल्कि संवेदनशील प्रतिबद्धता और ज़मीनी संघर्ष की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है.

सोमवार सुबह उन्होंने स्वयं की निगरानी में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में स्थल की खुदाई करवाई, जिसमें काटे गए दर्जनों खेजड़ी वृक्षों के अवशेष बाहर निकाले गए. यह स्पष्ट प्रमाण था कि इन वृक्षों को काटकर अपराध के साक्ष्य मिटाने के लिए जानबूझकर ज़मीन में गाड़ दिया गया था.

विधायक भाटी ने मौके पर मौजूद अधिकारियों से तीखे सवाल किए कि यह सब कुछ उनकी मौजूदगी में और प्रशासन की नाक के नीचे कैसे संभव हुआ? उन्होंने पूछा कि क्या प्रशासनिक तंत्र अब सोलर कंपनियों के दबाव में मौन रहना स्वीकार कर चुका है? इस पर उपस्थित अधिकारियों की ओर से कोई ठोस उत्तर नहीं मिला, बल्कि गोलमोल जवाब दिए गए.

विधायक भाटी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र, निष्पक्ष और कठोर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई, तो वह निकाले गए खेजड़ी वृक्षों के अवशेषों को स्वयं जिला कलेक्ट्रेट लेकर जाएंगे और वहां प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि यह केवल पर्यावरण का सवाल नहीं है, बल्कि ग्रामीण गरिमा, परंपरा और संविधान में प्रदत्त पर्यावरणीय अधिकारों की रक्षा का विषय है.

धरना और संघर्ष के बीच भी विधायक भाटी ने अपने जनप्रतिनिधित्व के कर्तव्यों से कोई समझौता नहीं किया. उन्होंने सोमवार को धरना स्थल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC) के माध्यम से गड़रा ब्लॉक की साप्ताहिक मंडे मीटिंग में भाग लिया, जिसमें उन्होंने बिजली आपूर्ति, पेयजल व्यवस्था, जल जीवन मिशन (JJM) की प्रगति, सड़क निर्माण, चिकित्सा सेवाएं, और अन्य बुनियादी जनसुविधाओं पर अधिकारियों से गंभीर चर्चा की.

उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनता की किसी भी शिकायत का समाधान तत्काल, पारदर्शी और ठोस हो, और किसी भी स्तर पर लापरवाही अथवा टालमटोल की प्रवृत्ति को गंभीर अनुशासनात्मक दोष माना जाएगा. विशेष रूप से उन्होंने रेडाना रण क्षेत्र के विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील इलाकों में योजनाबद्ध विकास में किसी भी प्रकार की ढिलाई जनता के साथ अन्याय है.

विधायक भाटी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल खेजड़ी की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि ग्रामीण राजस्थान की चेतना, उसकी संस्कृति और पर्यावरणीय अस्मिता की पुनर्स्थापना का संकल्प है. उन्होंने कहा कि खेजड़ी न केवल एक पेड़ है, बल्कि यह हमारे समाज की आत्मा, खेतों की छाया, मवेशियों का सहारा और मरुस्थल की शान है — और इस पर कोई भी हमला सहन नहीं किया जाएगा.

इस समय धरना बरियाड़ा-खुड़ाल धरनास्थल पर लगातार जारी है. महिलाएं, किसान, युवा और वरिष्ठ नागरिक सभी विधायक भाटी के नेतृत्व में इस संघर्ष में शामिल हैं. विधायक भाटी स्वयं दिन-रात धरना स्थल पर उपस्थित रहकर प्रशासन पर दबाव बनाए हुए हैं.

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