चंदौली : सकलडीहा विकासखंड में मनरेगा योजना के तहत हो रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला फिर सुर्खियों में है. सरकारी धन के गबन और फर्जीवाड़े की खबरें सामने आने के बाद मुख्य विकास अधिकारी ने जांच के आदेश दिए, लेकिन जांच प्रक्रिया में हो रही देरी और विभागीय टालमटोल ने जांच अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
सकलडीहा ब्लॉक के तारापुर, टीमिलपुरा, डीघवट और अन्य गांवों में रोजगार सेवकों और मेठों की मिलीभगत से मनरेगा कार्यों में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. एक ही मजदूर की तस्वीर बार-बार मस्टरोल में इस्तेमाल कर फर्जी उपस्थिति दर्ज की जा रही है. कागजों पर कार्य पूर्ण दिखाकर सरकारी धन का गबन किया जा रहा है.
मुख्य विकास अधिकारी ने डीसी मनरेगा को जांच के निर्देश दिए थे. लेकिन अब तक सिर्फ नोटिस जारी कर मामले को टालने का प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि डीसी मनरेगा जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में हैं.
मनरेगा घोटाले में विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता और मिलीभगत ने इसे और गंभीर बना दिया है.जब बीडीओ सकलडीहा से इस मामले पर सवाल किया गया, तो उन्होंने केवल कार्य आईडी शून्य करने और जांच कराने का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया. ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी और धीमी जांच प्रक्रिया भ्रष्टाचारियों को बचाने की साजिश हो सकती है.
ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि मनरेगा जैसी योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार देना और उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है, लेकिन भ्रष्टाचार ने इस योजना को पूरी तरह पंगु बना दिया है. रोजगार सेवकों और मेठों की मिलीभगत से सरकारी खजाने पर डाका डाला जा रहा है, और अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.
अब सवाल यह है कि क्या डीसी मनरेगा इस मामले में गंभीरता से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा? प्रशासन की सुस्ती ने सरकारी योजनाओं पर जनता का भरोसा कम कर दिया है.
जनता ने मांग की है कि मनरेगा घोटाले में शामिल रोजगार सेवकों, मेठों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. ग्रामीणों का कहना है कि केवल जांच के नाम पर औपचारिकता नहीं चलनी चाहिए, बल्कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ी पर लगाम लग सके.
मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। जांच प्रक्रिया को तेज करते हुए दोषियों को कटघरे में लाना आवश्यक है. यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह योजना अपने उद्देश्य से भटक जाएगी और जनता के विश्वास पर पूरी तरह से पानी फिर जाएगा. क्या प्रशासन इस मामले में न्याय करेगा, या फिर भ्रष्टाचार की यह गाथा ऐसे ही जारी रहेगी? जनता अब सख्त कदम उठाने की उम्मीद कर रही है.