रायपुर रेलवे स्टेशन पर बुधवार को शुरू की गई मोबाइल अन-रिजर्व टिकटिंग सिस्टम (UTS) सेवा महज 24 घंटे के भीतर ही बंद हो गई। रेलवे ने दावा किया था कि इस डिजिटल सर्विस से यात्रियों को टिकट काउंटर की लंबी कतारों से राहत मिलेगी और टीटीई मोबाइल डिवाइस के जरिए प्लेटफॉर्म पर ही टिकट उपलब्ध करा सकेंगे। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट रही।
भास्कर की टीम जब स्टेशन पहुंची तो न कोई टीटीई इस सेवा का उपयोग करता दिखा और न ही मशीनें नजर आईं। यात्रियों को अब भी काउंटर से ही टिकट लेना पड़ रहा है। रेलवे कर्मचारियों से बातचीत करने पर सामने आया कि इस सेवा को बिना पूरी तैयारी और ट्रेनिंग के जल्दबाजी में लॉन्च किया गया था। मशीनों का इस्तेमाल कैसे करना है और टिकट काटने की प्रक्रिया क्या होगी, इसकी जानकारी कर्मचारियों को ही नहीं दी गई। नतीजतन, सेवा का क्रियान्वयन पहले दिन से ही अटक गया।
बुधवार को मंडल रेल प्रबंधक दयानंद ने इस डिजिटल सेवा का शुभारंभ किया था। उनके साथ वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अवधेश कुमार त्रिवेदी और सहायक वाणिज्य प्रबंधक अविनाश कुमार आनंद भी मौजूद थे। अधिकारियों ने इसे रेलवे टिकटिंग प्रणाली को पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में अहम कदम बताया था। दावा किया गया था कि यात्री मोबाइल ऐप के जरिए जनरल टिकट, प्लेटफॉर्म टिकट और सीजन टिकट आसानी से खरीद सकेंगे।
रेलवे का कहना था कि यह सेवा यात्रियों को टिकट काउंटर की भीड़भाड़ से बचाएगी और समय की बचत करेगी। हालांकि, यह सुविधा ट्रेन के अंदर उपलब्ध नहीं है, बल्कि केवल स्टेशन परिसर और प्लेटफॉर्म पर ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
UTS (Unreserved Ticketing System) भारतीय रेलवे की वह डिजिटल सुविधा है जिसके जरिए यात्री बिना कतार में लगे मोबाइल ऐप से टिकट बुक कर सकते हैं। इसका उद्देश्य टिकटिंग को तेज, आसान और आधुनिक बनाना है। लेकिन रायपुर में हुई जल्दबाजी ने इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।