रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में इन्फ्लूएंजा के संभावित खतरे को लेकर मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में डमी मरीज को एम्बुलेंस से अस्पताल लाया गया और चिकित्सकों ने पीपीई किट पहनकर उसका इलाज किया। मॉकड्रिल का उद्देश्य अस्पताल की तैयारियों, दवाईयों की उपलब्धता और चिकित्सकीय सुविधाओं का परीक्षण करना था।
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि मॉकड्रिल के दौरान सभी विभागों को सक्रिय किया गया और आपातकालीन स्थिति में मरीजों को समय पर प्राथमिक चिकित्सा देने की प्रक्रिया को परखा गया। एम्बुलेंस स्टाफ, नर्सिंग टीम और डॉक्टरों ने वास्तविक परिस्थितियों के अनुसार मरीज का स्वागत और उपचार किया।
चिकित्सकों ने मरीज की जाँच करते हुए उसका इलाज किया और संभावित इन्फ्लूएंजा के मामलों को संभालने की रणनीति पर काम किया। अस्पताल प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि दवाइयों की पर्याप्त मात्रा मौजूद हो और सभी पीपीई किट सुरक्षित रूप से उपलब्ध हों।
मॉकड्रिल में शामिल अधिकारियों ने कहा कि यह अभ्यास न केवल कर्मचारियों की तत्परता बढ़ाने के लिए है, बल्कि आम लोगों को भी अस्पताल की आपातकालीन सेवाओं के प्रति जागरूक करने में मदद करता है। इस दौरान चिकित्सा कर्मचारियों ने मरीज के अलग-अलग लक्षणों के अनुसार त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया का अभ्यास किया।
अस्पताल के अधिकारी ने बताया कि भविष्य में भी नियमित अंतराल पर ऐसे अभ्यास किए जाएंगे, ताकि इन्फ्लूएंजा या किसी अन्य संक्रामक बीमारी के खतरे से निपटने के लिए अस्पताल पूरी तरह तैयार रहे। उन्होंने कहा कि इस मॉकड्रिल से अस्पताल के आपातकालीन प्रबंधन और कर्मचारियों की तत्परता का स्तर बढ़ा है।
मॉकड्रिल के दौरान मरीजों के इलाज, रिकॉर्डिंग और आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता की जांच की गई। अस्पताल प्रशासन ने यह भी बताया कि ऐसे अभ्यास से अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में गलती की संभावना कम हो जाती है और चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आता है।
इस अभ्यास से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज की क्षमता और तैयारियों का व्यापक मूल्यांकन किया गया। अस्पताल प्रशासन ने आश्वस्त किया कि यदि भविष्य में इन्फ्लूएंजा या अन्य संक्रामक रोग का खतरा उत्पन्न होता है, तो सभी विभाग तत्पर हैं और मरीजों को सुरक्षित एवं समय पर उपचार मिलेगा।