भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच ‘गहरी दोस्ती’ और दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़ते संबंधों में इस दोस्ती की भूमिका के बारे में बात की.
न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में गार्सेटी ने कहा कि पीएम मोदी भारतीय इतिहास में ‘सबसे अधिक अमेरिकी समर्थक प्रधानमंत्री’ हैं और राष्ट्रपति बाइडेन अमेरिकी इतिहास में ‘सबसे अधिक भारत समर्थक राष्ट्रपति’ हैं.
‘सबसे अधिक अमेरिकी समर्थक हैं प्रधानमंत्री पीएम मोदी’
उन्होंने कहा, ‘भारतीय इतिहास में सबसे अधिक अमेरिकी समर्थक प्रधानमंत्री पीएम मोदी और अमेरिकी इतिहास में सबसे अधिक भारत समर्थक राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच गहरी दोस्ती है.’ गार्सेटी ने कहा कि क्वाड, जो अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक फोरम है, एक विजन सेट करने, सिद्धांतों को साझा करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समाधान लाने के लिए एक ‘शक्तिशाली जगह’ है.
#WATCH | New York: US Ambassador to India, Eric Garcetti says, "These are two men (PM Modi and US President Joe Biden) who have such a close friendship, the most pro-American prime minister we've ever seen in Indian history, the most pro-Indian president we've had in US history… pic.twitter.com/tq60j1A0o1
— ANI (@ANI) September 24, 2024
‘एक स्वतंत्र और समृद्ध इंडो-पैसिफिक होना चाहिए’
उन्होंने कहा, ‘यह उन देशों के विपरीत है जो नियमों से नहीं चलना चाहते, नियमों में विश्वास नहीं करते और कानून के शासन को नहीं मानते लेकिन मुझे लगता है कि हम समाधान खोज सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि चारों क्वाड देशों का एक कॉमन विजन है कि एक स्वतंत्र और समृद्ध इंडो-पैसिफिक होना चाहिए.
‘किसी को क्वाड से खतरा नहीं महसूस होना चाहिए’
गार्सेटी ने कहा कि किसी को भी क्वाड से खतरा महसूस नहीं होना चाहिए. क्वाड कोई सैन्य गठबंधन नहीं है जो शक्ति का प्रदर्शन करके शांति बनाए रखना चाहता है. क्वाड सिर्फ चार देशों में काम नहीं करता है, हम पूरे क्षेत्र को देख रहे हैं कि हम हर किसी को कुछ न कुछ कैसे दे सकते हैं.
पीएम मोदी ने किया अमेरिका का तीन दिवसीय दौरा
बता दें, पीएम मोदी अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया, संयुक्त राष्ट्र में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ में भाषण दिया और कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक की.