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स्पेशल पावर का इस्तेमाल करेंगे मोहन कैबिनेट के मंत्री, सिर्फ 3 दिन में कर्मचारियों के ट्रांसफर पर फैसला

भोपाल : यूं तो जुलाई महीने से ही ट्रांसफर पॉलिसी के लागू होने के कयास लगाए जा रहे थे. इस दिशा में सरकार कुछ आगे बढ़ी तो लगा कि 15 अगस्त के बाद से प्रदेश में अधिकारियों के तबादले शुरू हो जाएंगे पर तारीख पर तारीख चलती गई और सितंबर महीना भी पूरा होने वाला है. इसी बीच ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर सरकार के एक फैसले ने कर्मचारियों को भी चौंका दिया है. दरअसल, ट्रांसफर पालिसी को पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश सरकार इस पूरी प्रॉसेस को ऑनलाइन करने की तैयारी में है.

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अगली कैबिनेट बैठक में फैसला संभव

पिछले दिनों मंत्रालय की बैठक में ट्रांसफर नीति पर कोई फैसला नहीं हुआ पर सूत्रों के मुताबिक इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर सहमति बनी है. ट्रांसफर प्रॉसेस को ऑनलाइन करने के लिए मंत्रालय में ई-फाइलिंग सिस्टम पर काम शुरू हो गया है और सरकार ने सभी विभागों को ऑफलाइन की जगह ऑनलाइन फाइलें तैयार कर भेजने के निर्देश भी दे दिए हैं. माना जा रहा है कि अगली कैबिनेट बैठक में सरकार ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर बड़ी घोषणा कर सकती है.

क्यों लगातार टल रही तबादला नीति?

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो विधायकों ने नई तबादला नीति तत्काल लागू करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया था. हालांकि, इसे इसलिए टाला गया क्योंकि संगठन का ऐसा मानना था कि इससे बीजेपी के सदस्यता अभियान पर असर पड़ सकता है. यही वजह है कि अब नए संशोधन पर मुहर लगना और ट्रांसफर्स से बैन हटना अक्टूबर के पहले हफ्ते यानी आगामी कैबिनेट बैठक में ही संभव हो पाएगा.

कर्मचारी संगठनों की ट्रांसफर पॉलिसी पर डिमांड

मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार को कर्मचारियों के हितों पर ध्यान देना चाहिए.

प्रभारी मंत्रियों को स्पेशल पावर

नई ट्रांसफर पॉलिसी में कुछ चीजें पुरानी हैं तो कुछ नई. पुरानी पॉलिसी के मुताबिक नई ट्रांसफर पॉलिसी में भी किसी भी कैडर में 20 प्रतिशत से ज्यादा ट्रांसफर नहीं किए जा सकेंगे. वहीं बड़े कैडर में 5 प्रतिशत से ज्यादा ट्रांसफर नहीं हो सकेंगे. इतना ही नहीं, नई ट्रांसफर पॉलिसी में जिले के प्रभारी मंत्रियों का खासा दखल रहेगा. प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन के बिना अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर नहीं हो सकेंगे. वहीं प्रभारी मंत्रियों को अपने स्पेशल पावर का इस्तेमाल करने के लिए कुछ दिनों का और इंतजार करना होगा.

प्रभारी मंत्री किसे कहते हैं?

‘प्रभारी मंत्री’ से तात्पर्य है वो मंत्री जिन्हें अलग-अलग जिलों का प्रभार मिला होता है. मध्यप्रदेश सरकार के नियम के मुताबिक मंत्रियों को उनके विभाग के अलावा विभिन्न जिलों का प्रभार भी दिया जाता है. इसमें सबसे खास बात ये होती है कि किसी भी मंत्री को उनका गृह जिला छोड़कर दूसरे जिला का प्रभार दिया जाता है. ये प्रभार जिले के पूरे प्रशासन का होता है. ऐसे में जिले की तमाम गतिविधियों के बारे में वहां के प्रशासन को अपने प्रभारी मंत्री को रिपोर्ट करना होता है और प्रभारी मंत्री फिर सीएम को रिपोर्ट पेश करते हैं. पूर्व में जहां संबंधित विभाग के मंत्री का ट्रांसफर में खास दखल होता था, तो वहीं नई ट्रांसफर पॉलिसी में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर ही जिले के अफसरों-कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे.

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