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दिवाली के बाद भी धमाके के मूड में मोहन यादव सरकार, शीतकालीन सत्र में आ रहा एमपी का अनुपूरक बजट

भोपाल : मध्यप्रदेश की मोहन सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट लाने जा रही है. इसे लेकर वित्त विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. वित्त विभाग ने इसके लिए सभी विभागों को पत्र लिखकर अनुपूरक बजट के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं. वित्त विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि प्रस्तावों में नए वाहन खरीदने के संबंध में प्रस्ताव न भेजे जाएं. इन प्रस्तावों को अनुपूरक बजट के प्रस्ताव में शामिल नहीं किया जाएगा. माना जा रहा है कि अनुपूरक बजट में मोहन यादव सरकार बड़े फैसले ले सकती है.

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विभागों से मांगा प्रस्ताव, 10 नवंबर डेडलाइन

दरअसल, अनुपूरक बजट के लिए सरकार के वित्त विभाग ने 10 नवंबर तक प्रस्ताव भेजने की डेडलाइन तय की है. सभी विभागों को निर्धारित फॉर्मेट में अपना प्रस्ताव ऑनलाइन भेजने के लिए कहा गया है.

वित्त विभाग के संचालक द्वारा भेजे गए पत्र में सभी विभागों को यह भी निर्देश दिया गया है कि जिन विभागों को जिस मद में अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता प्राप्त होनी है, उसकी जानकारी अलग से भेजी जाए. विभागों को यह भी बताने के लिए कहा गया है कि राज्य को ऋण और अनुदान के रूप के कितनी राशि प्राप्त होगी. इसके अलावा यदि कोई व्यय जिसके लिए केन्द्र से राशि मांगी जा रही है और उसका यदि स्वीकृत बजट में एडजस्टमेंट होना हो, उसका भी पूरा विवरण भेजा जाए.

विभागों से मांगा खर्च का ब्यौरा

वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि विभागों को बताना होगा कि 31 अक्टूबर तक किस विभाग को कितनी राशि आवंटित की गई थी. इसमें से कितनी राशि विभाग द्वारा खर्च की जा चुकी है. वित्त विभाग ने कहा कि अनुपूरक बजट में ऐसे प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाएगा, जिसमें राज्य सरकार से अतिरिक्त बजट की डिमांड की गई हो. यानी विभागों को किसी भी मद में अतिरिक्त बजट नहीं दिया जाएगा. वित्त विभाग ने कहा है कि नए वाहनों की खरीद के लिए बजट नहीं दिया जाएगा. इसलिए इसके प्रस्ताव न भेजे जाएं.

इस आधार पर भेजना होगा प्रस्ताव

अनुपूरक बजट में उन मदों के लिए ही राशि उपलब्ध कराई जाएगी, जिसके लिए वित्त विभाग द्वारा स्वीकृति दी गई हो. जिसके लिए राज्य की आकस्मिकता निधि से पहले से स्वीकृति ली गई हो. भारत सरकार और दूसरे एजेंसियों से वित्तीय सहायता की हो और उन्हें अभी खर्चों से अलग नहीं किया जा सकता हो. और इनके लिए अन्य किसी योजना में से बजट की कटौती नहीं की जा सकती हो.

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