हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में शिलाई के पास बुधवार को हुए एक बड़े भूस्खलन के कारण हाटकोटी को पांवटा से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 707 अवरुद्ध हो गया, क्योंकि पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा ढह गया, जिससे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रुक गई. अधिकारियों ने बताया कि पुनर्निर्माण कार्य जारी है, लेकिन लगातार गिरते मलबे के कारण काम में बाधा आ रही है. इसके चलते राजमार्ग के दोनों ओर लंबा जाम लग गया है.
इसी से जुड़ी एक घटना में, शिमला के कुछ हिस्सों में भी गिरे पेड़ों के कारण यातायात बाधित हो गया. राज्य भर में बुधवार शाम तक, लगभग 200 सड़कें बंद रहीं, जिनमें NH-707 भी शामिल है. सबसे ज्यादा प्रभावित मंडी जिला है, जहां 140 सड़कें बंद हैं, इसके बाद सिरमौर में 27 और कुल्लू में 21 सड़कें बंद हैं. स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के अनुसार, 137 जल आपूर्ति योजनाएं और 47 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर प्रभावित हुए हैं.
मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश में 21 और 22 जुलाई (सोमवार और मंगलवार) को अलग-अलग हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा के लिए ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया है, और 20 जुलाई तक विभिन्न जिलों में भारी वर्षा के लिए ‘येलो’ अलर्ट जारी किया गया है. इस बीच, राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रही. मंगलवार शाम से नाहन में 44.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि कोठी, जट्टन बैरागा और सराहन में 40-40 मिमी बारिश हुई.
धौलाकुआं में 35.5 मिमी, ददाहू में 30 मिमी और धर्मशाला में 17.1 मिमी बारिश हुई, जबकि मनाली और नारकंडा में क्रमशः 17 मिमी और 15 मिमी बारिश दर्ज की गई. 20 जून को मानसून शुरू होने के बाद से, स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर ने 109 मौतों की सूचना दी है. इनमें से 64 मौतें बारिश से संबंधित घटनाओं के कारण और 45 सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुई हैं. इसके अलावा, 199 लोग घायल हुए हैं और 35 लापता हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून सीजन में अब तक राज्य को 883 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. हिमाचल में फ्लैश फ्लड की 31, बादल फटने की 22 और भूस्खलन की 18 घटनाए अब तक हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. उन्होंने मानसून के दौरान अचानक आई बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं के कारण राज्य में हुए नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार से सहयोग का अनुरोध किया था.